भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन को Delhi HC से मिली बड़ी राहत, FIR दर्ज करने का आदेश रद्द
नई दिल्ली: दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन को बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित दुष्कर्म के इस मामले में भाजपा नेता हुसैन और उनके भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है.
गौरतलब है कि एक महिला ने आरोप लगाया था कि हुसैन के भाई शाहबाज हुसैन ने 2017 में शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया था, जबकि भाजपा नेता ने उसे इस मामले को उजागर नहीं करने और इस बारे में आवाज़ नहीं उठाने के लिए दबाव बनाया.
पटियाला कोर्ट ने दिया था आदेश
इस मामले में दिल्ली की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था. मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ दायर की गई रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए 31 मई 2022 को पटियाला हाउस जिला अदालत के एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने शाहबाज़ हुसैन और भाजपा नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिया था.
Also Read
- पब्लिक प्लेस से अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाने का मामला, Delhi HC ने सरकार से मांगी कार्रवाई की पूरी जानकारी
- CLAT 2025 के रिजल्ट संबंधी सभी याचिकाओं को Delhi HC में ट्रांसफर करने का निर्देश, SC का अन्य उच्च न्यायालयों से अनुरोध
- जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना: Delhi HC ने सरकार को कोचिंग फीस का भुगतान करने का आदेश दिया
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि महिला द्वारा दर्ज की गई शिकायत में शाहबाज़ हुसैन द्वारा संज्ञेय अपराध का खुलासा किया गया है.
हाईकोर्ट ने क्या कहा आदेश में
जिला अदालत के आदेश के खिलाफ शाहनवाज हुसैन और उनके भाई की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता को सुनवाई का उचित अवसर प्रदान किए बगैर आदेश दिया गया है.
हाईकोर्ट ने इसके साथ ही जिला अदालत के 31 मई के आदेश को रद्द करते हुए मामले को नए सिरे से तय करने के लिए मामला वापस जिला अदालत को भेज दिया है.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया होता तो वे न्यायालय के समक्ष कानून और तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में रखते.
जस्टिस महाजन ने अपने आदेश में कहा कि सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एक आवेदन पर विचार करने के मामले में संदिग्ध कोई व्यक्ति नहीं है जिसे किसी सुनवाई का अवसर न दिया गया हो.
अदालत ने इस तर्क पर विचार किया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) द्वारा अभियुक्तों को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था और अगर सुनवाई का अवसर दिया जाता, तो वे कानून और तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में रखते।
जस्टिस महाजन ने कहा "यह स्पष्ट है कि एक पुनरीक्षण अदालत की शक्तियों का प्रयोग करते हुए, किसी अभियुक्त या किसी अन्य व्यक्ति के पूर्वाग्रह के लिए अदालत द्वारा कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है जब तक कि उक्त अभियुक्त या उक्त व्यक्ति को सुनवाई का अवसर नहीं दिया जाता है.
क्या है मामला
शिकायतकर्ता महिला एक एनजीओ का संचालन करती है, एनजीओ के सिलसिले में महिला ने शाहबाज हुसैन से मुलाकात की जो कि भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन का भाई है. महिला की शिकायत के अनुसार वह शाहबाज़ से बहुत प्रभावित और मंत्रमुग्ध थी और उसके साथ अंतरंगता विकसित की क्योंकि शाहबाज़ ने वादा किया था कि वह शिकायतकर्ता से शादी करेगा.
महिला का आरोप है कि शाहबाज़ हुसैन ने उसके साथ शादी के वादे पर कई बार दुष्कर्म किया.बाद में उसे पता चला कि वह पहले से ही शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं.
महिला का आरोप है कि इस मामले में समर्थन मांगने के लिए शाहनवाज हुसैन के घर जाने पर हुसैन द्वारा उसे इस मामले को उजागर नहीं करने और आवाज़ नहीं उठाने के लिए कहा और कहा कि ऐसा करना दोनों पक्षों के लिए हानिकारक होगा.
महिला ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि शाहबाज़ हुसैन ने जनवरी 2017 में एक मौलवी की मौजूदगी में उससे शादी की, लेकिन बाद में उसे पता चला कि मौलवी ने एक नकली विवाह प्रमाणपत्र जारी किया था. उसने 21 सितंबर, 2017 और 19 दिसंबर, 2017 को दो शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.
उसने यह भी आरोप लगाया कि उस पर गोमांस खाने, धर्म बदलने और इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डाला गया.