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दिल्ली में फ्लेवर्ड तंबाकू, पान मसाला, गुटखा पर प्रतिबंध रहेगा बरकरार, Delhi High Court ने कहा ये ​नीतिगत निर्णय

Delhi High Court की पीठ दिल्ली और केंद्र सरकार द्वारा की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एकलपीठ के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा जारी अधिसूचना को खारिज कर दिया गया था.

Written By Nizam Kantaliya | Published : April 11, 2023 4:38 AM IST

नई दिल्ली: Delhi High Court ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुगंधित तंबाकू, पान मसाला, गुटका और इसी तरह के उत्पादों पर दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के आदेश को बरकरार रखा है.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस यशवंत वर्मा की पीठ ने सरकार की अधिसूचना को रद्द करने वाले हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश को खारिज करते हुए ये आदेश दिए है.

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पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सरकार द्वारा इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश एक नीतिगत निर्णय था, जिसे धूम्ररहित तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए लिया गया था.

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जिसके बाद पीठ ने राजधानी में फ्लेवर्ड तंबाकू, पान मसाला, गुटखा के निर्माण, भंडारण, वितरण या बिक्री पर रोक लगाने वाली राज्य सरकार की अधिसूचना को बरकरार रखा है.

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हाईकोर्ट ने गुटखा निर्माताओं के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सरकार ने "धूम्रपान रहित तंबाकू" पर ही रोक लगाई है दूसरे अन्य उत्पादों पर नही.

दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ दिल्ली और केंद्र सरकार द्वारा की ओर से दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एकलपीठ के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा जारी अधिसूचना को खारिज कर दिया गया था.

दिल्ली सरकार के खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वारा जारी अधिसूचना में इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिन्हें "धूम्रपान रहित तंबाकू" के रूप में वर्गीकृत किया गया था.

अधिकार का दावा नहीं कर सकते

पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 14 द्वारा प्रदत्त गारंटी और संरक्षण को केवल एक हानिकारक पदार्थ के निर्माण, बिक्री या वितरण के अधिकार का दावा करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता है क्योंकि सरकार समान रूप से हानिकारक वस्तु के संबंध में समान कदम उठाने में विफल रही है.

पीठ ने कहा कि तंबाकू की दोनों श्रेणियां ऐसे पदार्थ हैं जिनका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है, तो स्पष्ट रूप से लागू अधिसूचनाओं को रद्द करने का वारंट नहीं था.

पीठ ने कहा कि एक याचिका को किसी अवैधता को बनाए रखने या बड़े सार्वजनिक हित के लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा करने के लिए जारी नहीं रखा जा सकता.

एकलपीठ का फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 23 सितंबर 2022 के अपने फैसले में सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए उत्पादों को लेकर कहा कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (FSSA) के अर्थ में "भोजन" के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है.

एकलपीठ ने यह भी कहा था कि अधिसूचना जारी करने को सही ठहराने के लिए धूम्ररहित और धूम्रपान करने वाले तंबाकू के बीच वर्गीकरण बनाने की मांग संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है.

फैसले को किया रद्द

मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने एकलपीठ के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि तंबाकू चबाना, पान मसाला और गुटका FSSA में अभिव्यक्ति 'भोजन' के दायरे में नहीं आते हैं और जब तंबाकू उत्पादों की बात आती है तो COTPA पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लेता है.

पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के पास धारा 30(2)(ए) के आधार पर एफएसएसए के तहत खाद्य वस्तुओं को प्रतिबंधित करने की शक्ति है.

इसी आधार पर पीठ ने एकलपीठ के फैसले को रदृद करते हुए सरकार की अधिसूचना को बरकरार रखा.