'रिहाई के लिए BNSS के तहत नई अर्जी लेकर आए', बबलू श्रीवास्तव की याचिका पर SC ने कहा, यूपी सरकार को भी दिया ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बबलू श्रीवास्तव को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के प्रावधानों के तहत रिहाई की मांग के लिए नई सिरे से अर्जी दाखिल करने को कहा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि वो बबलू श्रीवास्तव की इस नई अर्जी पर जल्द से जल्द BNSS के प्रावधानों के तहत फैसला ले क्योंकि वो पहले ही 28 साल की सजा काट चुका है. कोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए 6 हफ्ते का वक़्त दिया है. पिछली सुनवाई में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वो बबलू श्रीवास्तव की रिहाई की अर्जी को खारिज कर चुकी है.
प्रोबेशन एक्ट के तहत मांगा थी रिहाई
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि यूपी सरकार के इस आदेश में कोई खामी नहीं मानी. कोर्ट ने कहा कि इससे पहले बबलू श्रीवास्तव ने प्रोबेशन एक्ट 1938 के तहत रिहाई की मांग की थी, जिसके प्रावधान BNSS और CrPC के मुकाबले ज़्यादा सख्त है. यहां पर राज्य सरकार को ऐसा कोई फैसला लेने से पहले इस बात के लिए सन्तुष्ट होना पड़ता है कि आरोपी आगे चलकर ऐसा कोई अपराध नहीं करेगा.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव की रिहाई की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि लखनऊ के डीएम और डीसीपी ने भी बबलू श्रीवास्तव की रिहाई की अनुशंसा नहीं की थी. बबलू श्रीवास्तव ने यूपी प्रिजनर्स रिलीज ऑन प्रोबेशन एक्ट के तहत रिहाई की गुहार लगाई थी. इस अधिनियम के अनुसार उम्रकैद की सजा काट रहा व्यक्ति अगर 14 वर्ष जेल में बिता चुका है, तो वह अपने रिहाई की मांग करने के योग्य है.
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कस्टम कलेक्टर की हत्या मामले में काट रहे उम्रकैद
माफिया बबलू श्रीवास्तव 24 मार्च 1993 के दिन कस्टम कलेक्टर एलडी अरोड़ा की उनके घर के पास हत्या करने में मामले में दोषी है. साल 2008 में टाडा कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को यथावत रखा है. मौजूदा रिपोर्ट के अनुसार, माफिया बबलू श्रीवास्तव ने 10 फरवरी 2022 तक 26 साल 9 महीने और 20 दिन की अपरिहार सजा और 31 वर्ष 3 महीने तीन दिन की सपरिहार सजा काट चुके हैं.