आयुष डॉक्टर गर्भवती महिलाओं पर सोनोग्राफी, प्रसव पूर्व परीक्षण नहीं कर सकते: मद्रास उच्च न्यायालय
नई दिल्ली: मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि आयुष डॉक्टर गर्भवती महिलाओं पर सोनोग्राफी और किसी भी प्रकार के प्रसव पूर्व परीक्षण तब तक नहीं कर सकते, जब तक कि वह गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीएनडीटी) अधिनियम और नियमों (Pre-Conception & Pre-Natal Diagnostic Techniques (PNDT) Act and Rules ) के तहत ऐसा करने के लिए योग्य नहीं हो जाते.
खबरों के अनुसार, इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम (SM Subramaniam) ने कहा कि कोई भी डॉक्टर, चाहे वह एलोपैथिक दवा (Allopathic Medicine) का अभ्यास कर रहे हों या फिर किसी अन्य दवा का प्रशिक्षण ले रहे हों वह तभी डायग्नोस्टिक टेस्ट कर सकता है, जब वो केंद्रीय पीएनडीटी अधिनियम के तहत क्वालीफाईड हो.
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने तमिलनाडु एसोसिएशन ऑफ आयुष सोनोलॉजिस्ट द्वारा दायर तीन रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया.
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एजेंसी से मिली जानकारी के तहत, याचिकाकर्ता चिकित्सकों ने यह दावा किया था कि उनके पास चिकित्सा के संबंधित क्षेत्रों में मान्यता प्राप्त संस्थानों से मान्यता प्राप्त और वैध डिग्री है.
याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि उनके पास अल्ट्रासोनोग्राम में किए गए कोर्स का सर्टिफिकेट भी है, जिसके तहत वे गर्भवती महिलाओं पर Diagnostic Procedures को पूरा करने के लिए और अल्ट्रासोनोग्राम तकनीकों को इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह से योग्य हैं.
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ( CCIM), इस मामले में एक प्रतिवादी में से एक, ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन के रुख का समर्थन किया.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस मामले में तमिलनाडु सरकार ने याचिकाकर्ताओं के दावों का विरोध करते हुए कहा कि डॉक्टरों के पास पीएनडीटी अधिनियम के प्रावधानों द्वारा निर्दिष्ट योग्यताएं होनी चाहिए, क्योंकि यह एक केंद्रीय अधिनियम है.
हाई कोर्ट ने राज्य के तर्क के साथ सहमति जताते हुए अपना फैसला सुनाया और कहा कि 2014 के प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (पीएनडीटी) अधिनियम के केंद्रीय नियमों के अनुसार सभी एमबीबीएस डॉक्टरों को विशेष छह महीने का "लेवल वन कोर्स ऑन फंडामेंटल्स इन एब्डोमिनो पेल्विक अल्ट्रासोनोग्राफी" को करना होगा. इसलिए, याचिकाकर्ता एसोसिएशन के सदस्यों के पास भी उक्त केंद्रीय नियमों के तहत योग्यता होनी चाहिए.
कोर्ट के आदेश में कहा गया कि "पाठ्यक्रम में केवल अल्ट्रासाउंड से संबंधित एक सामान्य विषय को शामिल करना विशेष अधिनियम द्वारा निर्धारित न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होगा."
न्यायालय ने कहा कि प्रसव पूर्व निदान प्रक्रियाएं, विशेष प्रक्रियाएं या उपचार थीं. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए क्या विशेष योग्यता होनी चाहिए इसके बारे में "केंद्रीय अधिनियम में बताया गया है और साथ ही जो नियम बनाए गए हैं उनका भी सावधानीपूर्वक जिम्मेदार लोगों के द्वारा पालन किया जाना चाहिए."