Swiggy, Zomato के बजाय बच्चों को मां के हाथ के बने खाने का आनंद लेना चाहिए, हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बच्चों के लिए घर का खाना खाने और बाहर खेलने की वकालत की है. हाईकोर्ट ने कहा कि स्विगी (Swiggy), जोमैटो (Zomato )के बजाय बच्चों को मां के हाथ के बने खाने का आनंद लेने दें. जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णा मामले की सुनवाई कर रहे थे.
जज ने कहा,
"बच्चों को अपने खाली समय में क्रिकेट या फुटबॉल या अन्य खेल खेलने दें जो उन्हें पसंद हो. स्वस्थ युवा पीढ़ी के लिए ये आवश्यक है, जिन्हें भविष्य में हमारे देश के लिए आशा की किरण बनना है. स्विगी, जोमैटो के बजाय बच्चों को मां के हाथ के बने खाने का आनंद लेने दें."
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इसके साथ ही अदालत ने सड़क के किनारे खड़े होकर अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखने वाले शख्स के खिलाफ दर्ज केस रद्द कर दिया.
शिकायतकर्ता का कहना था कि उसने आरोपी को अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखते हुए देखा था. हालांकि, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि भले ही उसके खिलाफ सभी आरोपों को सच मान लिया जाए, फिर भी सेक्शन 292 के तहत अपराध नहीं बनता है.
अदालत ने कहा कि अपराध के लिए ये साबित करना होगा कि आरोपी अश्लीलता वाली चीजें बेच रहा था या सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित कर रहा था.
अदालत ने ये भी कहा कि अगर नाबालिग बच्चे अश्लील वीडियो देखना शुरू कर देंगे,तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे. इसलिए माता-पिता को अपने बच्चे को मोबाइल फोन देते समय सोच विचार जरूर करना चाहिए.
हाईकोर्ट ने अंत में कहा कि अकेले में अश्लील फोटो या पॉर्न वीडियो देखना IPC के सेक्शन 292 के तहत अपराध नहीं है. ये सेक्शन अश्लील पुस्तकें और वस्तुओं की बिक्री, वितरण और प्रदर्शन को दंडित करता है. चुपचाप अकेले में अश्लील फोटो देखना IPC के सेक्शन 292 के तहत अपराध नहीं है. अगर कोई किसी अश्लील वीडियो या फोटो को प्रसारित करता है या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करता है तो ये सेक्शन 292 के तहत अपराध माना जाएगा.