ध्रुव राठी की वीडियो को री-ट्वीट करने के मामले में बुरे फंसे अरविंद केजरीवाल, Delhi High Court ने किया समन रद्द करने से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (5 फरवरी, 2024) के दिन अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को मानहानि मामले में जारी समन के खिलाफ राहत देने से इंकार कर दिया. दिल्ली के मुख्यमंत्री ( Chief Minister of Delhi) के खिलाफ ये मुकदमा साल 2018 में ध्रुव राठी (Dhruv Rathee) के मानहानिकारक वीडियो को री-ट्वीट करने पर दर्ज हुआ.
IPC की धारा 499 के तहत दर्ज है मुकदमा
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस ने कहा कि भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (Indian Penal Code, 1860) की धारा 499 के अंतर्गत ये मामला मानहानि के अपराध से जुड़ा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए मजिस्ट्रेट द्वारा पारित समन को बरकरार रखा है.
री-ट्वीट के समय रहे जिम्मेदारी का भाव
कोर्ट ने कहा कि जब एक मुख्यमंत्री जैसे उंचे पद के राजनीतिक व्यक्तित्व द्वारा किसी पोस्ट को री-ट्वीट किया जाता है. उस पोस्ट की पहुंच बड़े स्तर पर होती है और व्यापक स्तर पर लोगों के द्वारा विश्वास किया जा सकता है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि सोशल मीडिया पर री-ट्वीट करते समय जिम्मेदारी की भावना भी जुड़ी होनी चाहिए. केजरीवाल ने साल 2019 में ये याचिका दायर की थी. जिस पर एक समन्वय पीठ ने दिसंबर 2019 में इस मामले जुड़े ट्रायल कोर्ट हो रही कार्यवाही पर रोक लगायी थी.
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I Support Modi के फाउंडर ने दर्ज कराया मुकदमा
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ये मामला सोशल मीडिया पेज 'आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी' (I Support Narendra Modi) के संस्थापक विकास सांस्कृत्यायन ने दर्ज कराया था. आरोप लगाते हुए विकास सांस्कृत्यायन (Vikash Sanskritayan) ने दावा किया कि “बीजेपी आईटी सेल पार्ट II” शीर्षक वाला यूट्यूब वीडियो राठी ने शेयर किया कर झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए थे. अपने आरोप में आगे कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उस वीडियो की प्रामाणिकता की जांचें बिना उसे री-ट्वीट किया, जिससे उसकी छवि देश और विदेश में धूमिल हुई है. मामले की सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट ने री-ट्वीट किए पोस्ट को मानहानिकारक पाते हुए अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया था.