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Armed Forces Tribunal Bar Association ने CJI को लिखा पत्र, रक्षा मंत्रालय पर लगाया काम में हस्तक्षेप करने का आरोप

AFT Bar Association Chandigarh Bench Writes Letter to CJI DY Chandrachud

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण बार एसोसिएशन की चंडीगढ़ पीठ ने देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है और उनसे यह कहा है कि रक्षा मंत्रालय के रक्षा सचिव और कुछ अन्य अधिकारियों द्वारा उनके काम में बहुत हस्तक्षेप किया जा रहा है...

Written By Ananya Srivastava | Published : August 5, 2023 11:24 AM IST

नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण बार एसोसिएशन (Armed Forces Tribunal Bar Association) की चंडीगढ़ पीठ ने एक पत्र लिखा है और सीजेआई का ध्यान इस बात पर आकर्षित करने की कोशिश की है कि रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) एएफटी (AFT) के काम में प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप कर रहा है।

अपने पत्र में चंडीगढ़ पीठ के एएफटी बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से आग्रह किया है कि वो एएफटी के कामकाज में रक्षा सचिव (Defence Secretary) और केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के "अवमाननापूर्ण" (Contemptuous) कार्यों और सीधे हस्तक्षेप का संज्ञान लें।

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AFT बार एसोसिएशन ने CJI को लिखा पत्र

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देश के मुख्य न्यायाधीश को लिखे इस पत्र में बार एसोसिएशन ने कहा है कि वो इस बात का सख्त विरोध करते हैं कि एक रक्षा सचिव एएफटी को इस तरह निर्देश दे रहे हैं जैसे वो एक न्यायिक निकाय न होकर रक्षा मंत्रालय के आधीन आने वाला कोई विभाग हो; जबकि एएफटी सेवारत और सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके परिवारों को न्याय प्रदान करने के लिए संसद के एक अधिनियम द्वारा शासित एक स्वतंत्र वैधानिक न्यायाधिकरण है।

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एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस पंघाल (RS Panghal) और सचिव अजय श्योराण (Ajay Sheoran) द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि रक्षा मंत्रालय के कदम ने बार की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और कानूनी समुदाय के कई सदस्यों में बेचैनी पैदा कर दी है।

पत्र में ऐसा क्या लिखा था?

सीजेआई को संबोधित 3 अगस्त, 2023 के पत्र में, जुलाई में रक्षा सचिव द्वारा एएफटी की प्रधान पीठ से किये गए एक चौंकाने वाले अपमानजनक कम्यूनिकेशन पर चीफ जस्टिस का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई है; बार एसोसिएशन का कहना है कि यह कम्यूनिकेशन इस बात का सबूत है कि रक्षा मंत्रालय एएफटी के न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप कर रहा है।

बार एसोसिएशन के अनुसार जुलाई में रक्षा मंत्रालय द्वारा एएफटी को जो सूचना आई थी, उसमें न्यायाधिकरण को मंत्रालय से दिशानिर्देश मिले थे कि वो एएफटी, चंडीगढ़ द्वारा हाल ही में लिए गए उन सभी फैसलों और उनके विश्लेषण की एक रिपोर्ट तैयार करें जो वेतन या पेंशन संबंधी मामलों में लिए गए हैं।

एएफटी की प्रमुख पीठ (AFT Principal Bench) से यह मंत्रालय द्वारा यह अनुरोध भी किया गया था कि वो 28 जुलाई को शाम 5 बजे तक इस पर अपनी टिप्पणियाँ और इनपुट प्रस्तुत कर दें।

बार एसोसिएशन ने Justice DY Chandrachud से किया आग्रह

सशस्त्र बल न्यायाधिकरण बार एसोसिएशन, चंडीगढ़ पीठ ने अपने पत्र के जरिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ से आग्रह किया है कि वो इस पत्र को एक याचिका के रूप में देखें और इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान ले, जिससे "एएफटी के न्यायिक कामकाज में सीधे हस्तक्षेप" के लिए संबंधित रक्षा मंत्रालय अधिकारी के खिलाफ उचित कार्यवाही शुरू की जा सके।

उनका कहना है कि मंत्रालय का बार एसोसिएशन को कम्यूनिकेशन न सिर्फ अवमान्नपूर्ण है बल्कि ये अवैध, अनैतिक और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 50 की भावना के खिलाफ है; यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। अपने पत्र में एसोसिएशन ने 'लक्ष्मण रेखा पार की गई है' इस लाइन का भी इस्तेमाल किया है।

एसोसिएशन ने निर्देश मांगा है ताकि MoD को तुरंत AFT पर किसी भी नियंत्रण से मुक्त कर दिया जाए, जो ट्रिब्यूनल मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुरूप भी होगा।