Family Court के आदेश के खिलाफ अपील 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए: Delhi High Court
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अपील को लेकर कहा कि फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए. वर्तमान मामले में अपील 49 दिनों की देरी से दायर की गई थी. जबकि फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 के तहत 30 दिन के भीतर अपील करनी होती है.
जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विकास महाजन की डिवीजन बेंच ने अपीलकर्ता को देरी की माफी के लिए एक आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता देते हुए कहा,
“एचएमए की धारा 28 के तहत जिला न्यायालय के आदेश की तारीख से अपील 90 दिनों के भीतर की जानी चाहिए. जबकि फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील 30 दिनों के भीतर किए जाने का प्रावधान है."
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ये तलाक का मामला है. फैमिली कोर्ट ने 11 अप्रैल 2019 को तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अपील की थी.
अपीलकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि A. अपील 1955 के अधिनियम की धारा 28 के अनुसार दायर की गई थी जो 90 दिनों की सीमा निर्धारित करती है. B. 2003 के संशोधन के बाद समय सीमा 30 दिनों से बदलकर 90 दिन हो गई है. इस संबंध में सावित्री पांडे बनाम प्रेम चंद्र पांडे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया गया. C. फैमिली कोर्ट एक्ट, 1984 की धारा 20 में गैर-विषयक खंड वर्तमान में लागू नहीं होगा. ये मामला एचएमए, 1955 में संशोधन के रूप में फैमिली कोर्ट एक्ट लागू होने के बाद किया गया था.
प्रतिवादी के वकील ने प्रस्तुत किया कि A. चूंकि फैमिली कोर्ट एक्ट,1984 की धारा 20 की भाषा एक गैर-अस्थिर खंड से शुरू होती है, 1955 के अधिनियम के तहत निहित प्रावधान लागू नहीं होंगे. B. अभिव्यक्ति "उस समय के लिए कोई अन्य कानून" लागू होना" को उस समय के संदर्भ में नहीं पढ़ा जाना चाहिए जब संबंधित अधिनियम लागू किए गए थे, बल्कि उस समय के संदर्भ में पढ़ा जाना चाहिए जब असंगत प्रावधानों को लागू किया जाना है.
अदालत के समक्ष प्राथमिक मुद्दा हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत फैमिली कोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील की सीमा की अवधि निर्धारित करना था.
साल 2002 में दोनों ने शादी किया था. 2005 से दोनों के बीच झगड़े होने लगे. इसके बाद पति अलग रहने लगा और साकेत के फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी डाल दी. क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की गई थी. दिनांक 11.04.2019 के निर्णय द्वारा इसकी अनुमति दी गई थी.
कोर्ट ने कहा कि एचएमए की धारा 28 और फैमिली कोर्ट एक्ट की धारा 19 अलग-अलग क्षेत्रों में लागू होती हैं और ये जिला न्यायालय और फैमिली कोर्ट केआदेशों पर लागू होती हैं.