कल खेल में हम हो ना हो.... ceremonial bench के संबोधन के दौरान भावुक हुए जस्टिस MR Shah
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अदालत की कार्यवाही के दौरान राजकपूर की प्रसिद्ध मेरा नाम जोकर का बहुचर्चित गाना कल खेल में हम हो ना हो गूंज उठा.
यह गाना खुद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस एम आर शाह ने गुनगुनाया. अदातल में इस गाने के गुनगुनाने के बाद जस्टिस एम आर शाह इतने भावुक हुए कि वे अपना संबोधन करते हुए रो पड़े.
जस्टिस शाह ने ceremonial bench में अपने अपने अंतिम कार्यदिवस का समापन राजकुमार के गीत "कल खेल में हम हो ना हो, गर्दिश में तारे रहेंगे सदा" को गुनगुनाते हुए किया.
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जस्टिस एम आर शाह सुप्रीम कोर्ट से आज सेवानिवृत होने जा रहे है. सेवानिवृति से पूर्व देश की सर्वोच्च अदालत में जज के तौर पर आज उनका अंतिम कार्यदिवस है.
अंतिम कार्यदिवस के मौके पर जस्टिस एम आर शाह, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा के साथ ceremonial bench में शामिल हुए.
सोमवार को न्यायालय समय शुरू होने के साथ ही जस्टिस एम आर शाह को बार के साथ बेंच की ओर से भी औपचारिक तौर पर विदाई दी गयी. इस मौके पर बैंच में मौजूद सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के साथ ही जस्टिस एम आर शाह ने अपने अनुभव साझा किए.
मूल गुजरात हाईकोर्ट के जज Justice Mukeshkumar Rasikbhai Shah 2 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए थे. देश की सर्वोच्च अदालत में Justice Shah का 4 साल 6 माह और 13 दिन का कार्यकाल रहा है.
गीत गुनगुनाते हुए रो पड़े जस्टिस शाह
Ceremonial bench को संबोधन के दौरान जस्टिस एम आर शाह ने खुद की तुलना नारियल से करते हुए कहा कि अगर वह इस समय रोना शुरू कर देते है तो उन्हे माफ कर दिया जाए,
जस्टिस शाह ने सुप्रीम कोर्ट जज के कार्यकाल के दौरान उनका सहयोग करने के लिए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ सहित अपने सभी साथी जजों, स्टॉफ और संस्था का आभार व्यक्त किया.
जस्टिस शाह ने अपने कार्यकाल के दौरान बार, रजिस्ट्री और सहायक कर्मचारियों, अधिवक्ताओं, कार्यालय स्टॉफ और कोर्ट स्टॉफ के सहयोग के लिए आभार जताते हुए कहा कि अगर उनके किसी शब्द से किसी को चोट पहुंची है तो वे उनसे माफी मांगते है.
जस्टिस शाह ने अपने संबोधन में कहा कि “मैं सेवानिवृत्त होने वाला व्यक्ति नहीं हूं और मैं अपने जीवन की एक नई पारी शुरू करने जा रहा हूं। मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं कि वह मुझे नई पारी खेलने के लिए शक्ति और साहस और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करें.
जस्टिस शाह ने युवा अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा "लोग कहते हैं कि मैंने जूनियर्स और सीनियर्स के साथ समान व्यवहार किया, लेकिन मुझे लगता है कि मैंने जूनियर्स को अधिक प्रोत्साहित किया और मैं चाहता था कि वे स्थगन न हों या वकील का उल्लेख न करें और बल्कि बहस करने वाले वकील बनें."
Ceremonial bench के आखरी संबोधन में जस्टिस शाह ने मेरा नाम जोकर फिल्म के गीत जीना यहां मरना यहां की लाइनो को गुनगुनाते हुए भावुक हो उठे.
उन्होने भरी अदालत में "कल खेल में हम हो ना हो...गर्दिश में तारे रहेंगे सदा...गीत गुनगुनाया और भावुक होते हुए रो पड़े.