Rape Case के आरोपी का नाम फैसले की कॉपी से हटाएं… Madras High Court ने Rights to be Forgotten के तहत क्यों दिया ये आदेश?
Rights To Be Forgotten: मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने रेप केस के आरोपी की पहचान (Rape Case Accused Identity) इंटरनेट से हटाने के आदेश दिए हैं.आदेश उच्च न्यायालय की मदुरई बेंच (Madurai Bench) ने इंडियन कानून वेबसाइट (Indian Kanoon Website) को दिया है. बेंच ने रेप केस के फैसले की कॉपी हटाने को कहा है. बेंच ने आरोपी के पहचान से जुड़ी सभी डिटेल्स, जैसे नाम, घर का पता आदि को जजमेंट और कोर्ट आर्डर की कॉपी से मिटाने के आदेश दिए है. बता दें कि याचिकाकर्ता को ये राहत भूल जाने के अधिकार (Rights To Be Forgotten) के तहत मिली है. याचिकाकर्ता एक रेप केस में आरोपी था जिसमें उसे आरोपों से मुक्त कर दिया गया था.
जजमेंट कॉपी में संशोधन कर छिपाएं पहचान
जस्टिस अनीता सुमंत और जस्टिस आर विजयकुमार की बेंच ने वेब पोर्टल इंडियन कानून को याचिकाकर्ता के नाम वाली फैसले की प्रति हटाने का भी आदेश दिया है. बेंच ने जजमेंट की कॉपी में संशोधन करने के आदेश दिए हैं.
भूल जाने के अधिकार के तहत मिली राहत
बेंच ने कहा. यह फैसला हमने भूल जाने के अधिकार के तहत लिया है. न्यायिक संस्थान होने के नाते, हम राइट टू प्राइवेसी को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. बेंच ने आगे कहा. पहचान छिपाने की प्रक्रिया नई नहीं हैं. कई मामलें हैं जिसमें पार्टी के हित को देखते हुए उनकी पहचान छिपाई गई है. नाम की जगह XYZ का प्रयोग कर उनके पहचान को गुप्त रखा गया है. हाईकोर्ट इन डाक्यूमेंट्स को सदा अपने पास रखेगा. वहीं, इन डाक्यूमेंट्स को सार्वजनिक करने से पहले विचार करेगा.
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पहचान मिटाने की मांग है उचित
बेंच ने आगे कहा. याचिकाकर्ता की पहचान मिटाने की मांग की है. यह मांग मिटाने के अधिकार (Right of Erasure) के तहत है. ये सत्य है कि मिटाने का अधिकार DPDP Act के सेक्शन 8(7) के आदेश इस नियम के सेक्शन 17 के अनुसार कोर्ट पर लागू नहीं होगी. वहीं, कोर्ट को ये अधिकार देने पर किसी प्रकार नहीं है. कोर्ट उचित व्यक्ति को ये राहत दे सकती हैं.यह न्यायालय के विवेक पर निर्भर है कि वे पहचानों को गुप्त रखने के मामलों पर विचार कर उचित फैसला दें.
Rights To Be Forgotten क्या है?
'भूल जाने का अधिकार' इंटरनेट, सर्च , डेटाबेस, वेबसाइटों या किसी अन्य सार्वजनिक प्लेटफॉर्म से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध व्यक्तिगत जानकारी को उस स्थिति में हटाने का अधिकार है जब यह व्यक्तिगत जानकारी आवश्यक या प्रासंगिक नहीं रह जाती है.
DPDP Act क्या है?
DPDP Act का हिंदी में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम है. यह कानून भारत में लागू है. DPDP Act वैध उद्देश्यों के लिए ऐसे डेटा को संसाधित (Processed) करने की आवश्यकता के साथ व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकारों पर ध्यान रखता हैं.