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Ambedkar Jayanti 2023: आज है डाॅ भीमराव आंबेडकर की जयंती, देश का महान संविधान है उनकी सबसे बड़ी देन

हमारे देश का संविधान अपने आप में हिंदूस्तान की पुरी तस्वीर खुद में समेटे हुए है.संविधान निर्माताओं की ये देशभक्ति ही थी कि उन्होने इतने कम समय में ही विश्व के सबसे महान संविधान को तैयार किया था. भारतीय संविधान का जनक की जयंती पर आईए जानते है देश के संविधान की रोचक बाते.

Written By Nizam Kantaliya | Published : April 14, 2023 12:02 PM IST

नई दिल्ली: डाॅ भीमराव आंबेडकर को भारतीय संविधान निर्माता के तौर पर जाना जाता है, उनकी भूमिका संविधान निर्माण में तो अतुल्य थी ही, साथ ही दलित समाज के उत्थान में भी महत्वपूर्ण रही.

14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू में जन्मे डाॅ भीमराव आंबेडकर के विचार महिलाओं को पुरुषों के बराबर, अल्पसंख्यकों और गरीबों को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित करते हैं.

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हर साल 14 अप्रैल को डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन और विरासत को सम्मान देने के लिए देश में अम्बेडकर जयंती मनाई जाती है. अंबेडकर  जयंती पर देश में यह पहली बार हुआ है कि देश की सर्वोच्च अदालत से लेकर कई हाईकोर्ट में अलग से अवकाश की घोषणा की गई है.

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संविधान है सबसे बड़ी देन

स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री डॉ बी आर अंबेडकर ने भारतीय कानून और शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान दिया है. डॉ बी आर अंबेडकर भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। यही कारण है कि उन्हें 'भारतीय संविधान का जनक' भी कहा जाता है.

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डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती पर आईए जानते है दुनिया के सबसे महान लोकतंत्र के संविधान को जिसे 60 देशों के संविधानों के अध्ययन के बाद तैयार किया गया है और दुनिया का एकमात्र पूर्णतया हस्तलिपिबद्ध संविधान है.

हमारे देश का संविधान दुनिया के करीब 60 देशों के संविधानों को परखने के बाद बनाया गया था इसीलिए इस संविधान को महान संविधान कहा जाता है. 1950 के बाद से ही हम 26 नंवबर को कानून दिवस के रूप में मनाते आये है, लेक‍िन 19 नवंबर 2015 को पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद से ही इसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.

विश्व में भारत का संविधान है सबसे बड़ा संविधान

15 अगस्त 1947 को आजादी के साथ ही हमारे देश के संविधान को लेकर कवायद शुरू हो गयी थी. इसके लिए पहली बैठक 21 अगस्त पंडित जवाहरलाल नेहरू के निवास पर हुई. उसके बाद बाबा साहेब भीमराव अबेडकर के साथ पंडित नेहरू और राजेन्द्र प्रसांद की करीब आधा दर्जने बैठके हुई. और अंत में 29 अगस्त 1947 को संविधान की मसौदा समिति का गठन किया गया.

डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया, इस कमेटी में अन्य सदस्यों को शामिल किया गया लेकिन संविधान तैयार होते होते इनकी संख्या 284 रही थी. भारतीय संविधान सभा ने मसौदा समिति की ओर से पेश किये गये संविधान को 26 नवंबर 1949 को अपनाया. करीब 1 साल तक इसमें और अन्य कानूनों पर विचार किया गया.

24 जनवरी 1950 को संविधान को पूर्ण रूप प्रदान करते हुए सभी 284 सदस्यों के हस्ताक्षर किये गये. इसके ठीक दो दिन बाद 26 नवंबर 1950 को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र द्वारा इसे लागू किया गया. संविधान के महत्व के प्रसार के लिए ही 26 नवंबर का दिन चुना गया था जिसके बाद उसे कानून दिवस के रूप में मनाया गया ।

संविधान और प्रेम बिहारी नारायण

हमारे संविधान के लागू होने के समय इसमें कुल 395 अनुच्छेद जो की २२ भागों में थे जिसे तैयार करने में कुल 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा. हमारे संविधान को हिंदी और अंग्रेजी दोनो ही भाषाओं में तैयार किया गया. मूल संविधान में किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का प्रयोग नही किया गया है.

भारतीय संविधान में फिलहाल 100 से अधिक परिवर्तनों के साथ 25 भागों, 12 अनुसूचियों और 5 परिशिष्टों में विभाजित 448 अनुच्छेद हैं.

हमारा मूल संविधान पूर्णतया हस्तलिपिबद्ध है, प्रेम बिहारी नारायण ने इसे हस्तलिपिबद्ध किया था. संविधान को हस्तलिपिबद्ध करने की एवज में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रेम बिहारी नारायण को मानदेय का प्रस्ताव रखा था, लेकिन प्रेम बिहारी ने मानदेय लेने से इंकार किया साथ ही मूल संविधान के सभी पृष्ठों पर उनका नाम और अंतिम पेज पर उनका और उनके पिताजी का नाम लिखने की शर्त रखी. आज हमारे संविधान के हर पेज पर है प्रेम बिहारी नारायण का नाम लिखा हुआ है.

हीलियम गैस से भरी हुई पेटी में रखा गया है संविधान

24 नवंबर 1950 को हमारा संविधान बनकर तैयार हुआ था उसी दिन जब सभी सदस्य उस पर हस्ताक्षर कर रहे थे उस दिन बारिश हो रही थी.हमारे देश के संविधान के साथ ये एक शुभ संकेत था, हमारी संस्कृति में भी बारिश को शुभ संकेत माना जाता है.

7 साल बाद भी हमारा मूल संविधान ज्यौ का त्यौ संसद के पुस्तकालय में रखा गया है. संविधान को सुरक्षित रखने के लिए उसे विशेष हीलियम गैस से भरी हुई पेटी में रखा गया है

254 पैन होल्डर लिये गये प्रयोग में

हमारे देश के संविधान को हस्तलिपिबद्ध करने में 6 माह का समय लगा. इसके लिए 303 नम्बर की निब प्रयोग में ली गयी.वही कुल 254 पेन होल्डर काम में लिये गये। भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून द्वारा फोटोलिथोग्राफी का कार्य किया गया था। हस्तलिपिबद्ध करने वाले प्रेम बिहारी नारायण को बाद में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।

11 पेज पर फैले है हस्ताक्षर

संविधान के तैयार होने के बाद संविधान सभा के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर किये गये। संविधान सभा के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर करीब 11 पेज पर फैले है। आठवीं अनुसूची के बाद पहला हस्ताक्षर पं. जवाहरलाल नेहरू का और संविधान के अंतिम पेज पर फिरोज गांधी के हस्ताक्षर है।

एक रोचक बात ये भी है कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने सभी सदस्यो के अंत में हस्ताक्षर किये थे, उनके हस्ताक्षर के लिए जगह नही होने से उन्हे पंडित नेहरू के उपर सीमित जगह में तिरछे हस्ताक्षर करने पड़े। डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने अपने हस्ताक्षर देवनागरी और रोमन लिपि, अबुल कलाम आजाद ने उर्दु में हस्ताक्षर किये थे। जब मूल संविधान तैयार हुआ उससे पूर्व ही महात्मा गांधी इस दुनिया में नही रहे थे इसी के चलते मूल संविधान में महात्मा गांधी के हस्ताक्षर नही है।

 कृपालसिंह शेखावत का  योगदान

मूल संविधान के निर्माण में जयपुर की भी अहम भूमिका है। संविधान की उद्देशिका का कला कार्य किया ब्योहर राम मनोहर सिन्हा द्वारा किया गया....सिन्हा ने केवल राम शब्द का उपयोग करते हुए अपने हस्ताक्षर किये। मूल संविधान में कला का अधिकांश कार्य कृपालसिंह शेखावत ने किया। कृपालसिंह शेखावत जयपुर के कला में एक बड़ा नाम था आज भी उनकी बेटी कुमुद शेखावत कला क्षेत्र से जुड़ी हुई है उनके योगदान के लिए ही बाद में उन्हे 1974 में पद्मश्री और 2002 में शिल्पगुरू सम्मान से सम्मानित किया गया।

भगवान श्रीराम से लेकर भगवान महावीर तक

संविधान निर्माताओं ने ना केवल समानता और स्वतंत्रता के साथ साथ विधिधता में एकता के लिए कानूनो का निर्माण किया....बल्कि मूल संविधान में प्राचीनकाल से लेकर आजादी तक के अहम चित्रो का समावेश किया है। मूल संविधान में वैदिक काल के गुरूकुल, रामायण से भगवान श्रीराम के वनवास से घर वापस आने का दृश्य, महाभारत में श्री कृष्ण द्वारा अर्जून को दिए गीता उपदेश का दृश्य, गौतम बुद्ध, भगवान महावीर, सम्राट अशोक के साथ साथ विक्रमादित्य के सभागार के दृश्य मूल संविधान में शामिल किये गये...

अकबर से लेकर टीपू सुल्तान के भी चित्र

हमारे संविधान निर्माताओं ने चित्रों के जरिए बहुत कुछ संदेश देने का प्रयास किया है..मूल संविधान में एक ओर जहां प्राचीन भारत के वर्णन के साथ भगवान श्रीराम से लेकर श्रीकृष्ण के चित्र शामिल किये...वही मध्यकालिन भार में राजाओं में शामिल अकबर, शिवाजी, गुरूगोबिन्द सिंह, रानी लक्ष्मीबाई से लेकर टीपू सुल्तान के चित्र भी शामिल किये गये।

महात्मा गांधी से लेकर बोस तक

संविधान महात्मा गांधी के तीन चित्र शामिल किये गये है। एक उनके दाण्डी मार्च से जुड़ा है तो दूसरा आजादी के समय हुए दंगो के दौरान लोगो के बीच जाने का दृश्य का चित्र है। क्रांतिकारियो को शामिल करते हुए निर्माताओं को विदेश में रहकर भी भारत माता की आजादी के लिए त्याग करने वाले क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के चित्र को भी शामिल किया। यही नही संविधान में हिमालय, रेगीस्तान से लेकर सागर के चित्र को शामिल कर संपूर्ण भूभाग को समावेश किया गया है

अगर हम देखे तो संविधान अपने आप में हिंदूस्तान की पुरी तस्वीर खुद में समेटे हुए है. संविधान निर्माताओं की ये देशभक्ति ही थी कि उन्होने इतने कम समय में ही विश्व के सबसे महान संविधान को तैयार किया.