पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ आरोपों से नाखुश सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की PIL, याचिकाकर्ता को अदालत से भी बाहर निकाला
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ अरुण रामचंद्र हुबलीकर द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपनी कथित अवैध बर्खास्तगी की आंतरिक जांच की मांग की गई थी. अदालत ने आरोपों पर नाराजगी जताते हुए हुबलीकर को कोर्ट रूम से बाहर निकालने का आदेश दिया. वहीं वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालती कार्यवाही में गरिमा की आवश्यकता पर जोर दिया और याचिका को इसकी योग्यता की कमी के कारण खारिज कर दिया.
याचिकाकर्ता को Courtroom से निकाला गया
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 30 सितंबर को पूर्व सीजेआई के खिलाफ जांच के अनुरोध वाली याचिका पर कड़ी आपत्ति जताई थी और याचिकाकर्ता से पक्षकारों की सूची से न्यायाधीश का नाम हटाने को कहा था. आरोपों से नाराज न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीष चंद्र शर्मा की पीठ ने सुरक्षा कर्मियों से हुबलीकर को अदालत कक्ष से बाहर ले जाने का आदेश दिया. मंगलवार को सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता ने पूर्व सीजेआई का नाम लिया, तो पीठ नाराज हो गई.
अदालत ने कहा,
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“हम आप पर जुर्माना लगाने जा रहे हैं. किसी भी न्यायाधीश का नाम न लें. आपके मामले में कोई दम नहीं है.”
याचिकाकर्ता ने इसका विरोध किया और कहा,
“आप कैसे कह सकते हैं कि मेरे मामले में कोई दम नहीं है. यह कैसे कहा जा सकता है... यह मेरे खिलाफ अन्याय है. मरने से पहले कम से कम मुझे न्याय तो मिलना चाहिए.”
इस पर पीठ ने याचिका खारिज करते हुए सुरक्षाकर्मियों को याचिकाकर्ता को अदालत कक्ष से बाहर ले जाने को कहा.
पूर्व CJI का नाम हटाने का था आदेश
पिछली सुनवाई में जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के वास्ते याचिकाकर्ता के सामने पूर्व सीजेआई का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने की शर्त रखी थी. पीठ ने कहा था कि आप एक न्यायाधीश को प्रतिवादी बनाते हुए कोई याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? थोड़ी गरिमा तो बनाए रखना चाहिए. आप यूं ही नहीं कह सकते कि मैं एक न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश थे.
उन्होने कहा, “न्यायमूर्ति गोगोई भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे. आप यह नहीं कह सकते कि मैं किसी न्यायाधीश के खिलाफ आंतरिक जांच चाहता हूं, क्योंकि आप उसकी पीठ के सामने अपनी दलीलें मनवाने में सफल नहीं हुए. माफ करें, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते.,”
हुबलीकर के पूर्व सीजेआई का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने का आश्वासन दिए जाने के बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया, जिस पर आज सुनवाई हुई.