Advertisement

स्वैच्छिक सेवानिवृति लेना एक अधिकार है: इलाहाबाद HC ने केन्द्र की याचिका की खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बस्ती के एक डाकघर की अधिक्षक डॉ. शिव पूजन सहाय की स्वैच्छिक सेवानिवृति (Voluntary Retirement) के फैसले को बरकरार रखा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट मामले में सीसीएस पेंशन नियम के अनुसार क्या कोई व्यक्ति नियोक्ता की अनुमति के बिना स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट ले सकता है.

Written By Satyam Kumar | Published : July 17, 2024 3:54 PM IST

Voluntary Retirement: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बस्ती के एक डाकघर की अधिक्षक डॉ. शिव पूजन सहाय की स्वैच्छिक सेवानिवृति (Voluntary Retirement) के फैसले को बरकरार रखा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट मामले में सीसीएस पेंशन नियम के अनुसार क्या कोई व्यक्ति नियोक्ता की अनुमति के बिना स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट ले सकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीसीएस (पेंशन नियम) के नियम 48 के अनुसार स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट लेने में नियोक्ता की रजामंदी का जिक्र नहीं पाते हुए, भारत सरकार की रिट याचिका खारिज कर दी. (नियोक्ता का अर्थ: नौकरी देने वाला और दूसरा डाक सेवा केन्द्र सरकार के अंतर्गत आती है.)

मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट को तय करना था,
Advertisement

  1. क्या कोई व्यक्ति तीस साल सेवा करने के बाद केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन नियम) के नियम 48 के तहत स्वैच्छिक तौर पर सेवानिवृति ले सकता है?
  2. और क्या केन्द्र का उनकी सेवानिवृति देने से इंकार करने का फैसला सही था?

Also Read

More News

इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस अरूण भंसाली और जस्टिस विकास की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. उन्होंने पाया कि सीसीएस (पेंशन नियम), 1972 के नियम 48 के तहत, एक सरकारी कर्मचारी को 30 साल की सेवा पूरी करने के बाद स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त होने का अधिकार है, बशर्ते वे निलंबित न हों.
Advertisement

न्यायालय ने कहा,

नियम 48 सेवानिवृत्त कर्मचारी को दो शर्तों के अधीन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दावा करने का अधिकार देता है: 30 साल की अर्हक सेवा संतोषजनक ढंग से पूरी करना और निलंबित नहीं होना.

वहीं, नियोक्ता की सहमति को लेकर अदालत ने बताया. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नियम 48ए (2) (जो 20 साल की सेवा से संबंधित है) के तहत नियोक्ता के पास विवेकाधिकार है. वहीं नियम 48 में नियोक्ता की रजामंदी का जिक्र नहीं है.

अनुशासनात्मक कार्यवाही की समयसीमा: अदालत ने गौर किया कि प्रतिवादी के स्वैच्छिक तौर पर रिटायरमेंट लेने की प्रभावी तिथि के बाद उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई, जो उसके स्वैच्छिक रिटायरमेंट के अनुरोध के लिए प्रभावी नहीं थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. शिव पूजन सिंह के स्वैच्छिक रिटायरमेंट के फैसले को बरकरार रखा है. मामले में भारत सरकार द्वारा रिट याचिका को खारिज किया है.