राज्य सरकार के पास 'ड्राइविंग स्कूलों' को रेगुलेट करने का अधिकार नहीं! जानें Allahabad HC ने मोटर वाहन अधिनियम के हवाले से क्या कहा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ड्राइविंग स्कूल के नियमन व लाइसेंस जारी करने के अधिकार को बेहद अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 की धारा 27, केंद्र सरकार को मोटर वाहन ड्राइविंग स्कूलों को विनियमित करने और लाइसेंस देने का अधिकार देती है, जबकि राज्य सरकार को इस मामले से संबंधित नियम बनाने का अधिकार नहीं देती है. अदालत का ये फैसला यूपी मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन एवं सात अन्य की रिट याचिका पर आया है, जिन्होंने यूपी सरकार के 2023 के फैसले को चुनौती दी थी.
साल 2023 में राज्य सरकार ने निजी मोटर वाहन ड्राइविंग स्कूलों और इनके संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की थी, जिसे ड्राइविंग स्कूल मालिको ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. निजी ड्राइविंग स्कूल संचालकों का कहना था कि ड्राइवर प्रशिक्षण स्कूल से जुड़े नियम बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार के पास है.
राज्य सरकार को मामले में नियम बनाने का अधिकार नहीं!
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और जस्टिस जयंत बनर्जी की पीठ ने यूपी मोटर ट्रेनिंग स्कूल ओनर्स एसोसिएशन की याचिका स्वीकार करते हुए वर्ष 2023 में जारी राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है.
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अदालत ने कहा,
“केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 की धारा 27 जोकि राज्य सरकार को नियम बनाने के लिए अधिकृत करती है और उन नियमों को बनाने से रोकती है जिन्हें बनाने के अधिकार केंद्र सरकार में निहित हैं. राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में विभिन्न उपबंध हमारे विचार से केंद्र सरकार के नियम बनाने के अधिकार की परिधि में आते हैं.”
अदालत ने यह भी कहा,
“राज्य की यह दलील कि राज्य का सरकारी आदेश, केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के पूरक हैं, स्वीकार नहीं किया जा सकता.”
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दावा किया कि मोटर वाहन ड्राइविंग का प्रशिक्षण देने वाले स्कूलों या प्रतिष्ठानों को लाइसेंस देने या उनके नियमन के उद्देश्य से नियम बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है. अदालत ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों से सहमति दिखाते हुए राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है.
क्या था यूपी सरकार का SOP?
उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल के लिए एसओपी जारी की थी, जिसके अनुसार सभी स्कूलों में पार्किंग की व्यवस्था होनी अनिवार्य है. प्रशिक्षकों के पास लाइसेंस व डिप्लोमा की डिग्री होनी चाहिए. प्रशिक्षण के लिए प्रयोग होनेवाली गाड़ियों को लेकर सभी नियम तय किए गए थे. वहीं ट्रेनिंग स्कूल चलाने के लिए कम-से-कम हजार स्क्वायर फीट की जमीन होनी चाहिए.