कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के यमुना के डूबे क्षेत्र में बुलडोजर चलाने पर लगाई रोक- जानिये पूरा मामला
नोएडा: यमुना के डूबे क्षेत्र में बने फॉर्म हाउस मालिकों के लिए एक राहत की खबर है की नोएडा प्राधिकरण इस तरह के निर्माण को अब ध्वस्त नहीं कर सकता, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डूबे क्षेत्र में प्राधिकरण के ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है.
न्यूज़ एजेंसी IANS की खबर के अनुसार, कोर्ट ने यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया, साथ ही प्राधिकरण को 30 दिनों के अंदर फॉर्म हाउस मामले में फैसला लेने हेतु निर्देशित किया.
रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने आदेशित किया कि याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह में अपनी आपत्ति दर्ज करवानी होगी, साथ ही प्राधिकरण को कहा की वहां कोई ध्वस्तीकरण अभियान नहीं चलाए. कोर्ट ने आदेश में फॉर्म हाउस मालिक को भी वहां कोई निर्माण ना करने हेतु आदेश दिया.
Also Read
- सालार मसूद गाजी के 'उर्स' आयोजित करने देने की मांग, जिला प्रशासन के फैसले के खिलाफ Allahabad HC में याचिका दाखिल
- Justice Yashwant Varma को लेकर क्या तय हुआ? जब CJI Sanjiv Khanna से मिलने पहुंचे छह बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट
- 'नाबालिग का ब्रेस्ट पकड़ना Attempt to Rape नहीं', इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बताया 'असंवेदनशील'
इससे पहले भी फार्म हाउस मालिकों ने अपनी आपत्तियों के प्रत्यावेदन प्राधिकरण को दिए थे, जिनका निस्तारण करने हुए प्राधिकरण ने जवाब दिया था, हालांकि इस जवाब से याचिकाकर्ता संतुष्ट नहीं हुए थे.
फार्म हाउस पर चला बुलडोजर
प्राधिकरण ने हाल ही में यमुना के डूब क्षेत्र में बने फार्म हाउसों पर बुलडोजर चलवा दिया, जिसके विरोध में फार्म हाउस मालिकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
प्राधिकरण ओएसडी प्रसून द्विवेदी ने IANS को बताया कि ध्वस्तीकरण मामले में कोर्ट से स्टे हुआ है. उन्होंने कहा की विधि सलाहकार से बातचीत करके ही आगे अपना जवाब दिया जाएगा.
उल्लेसखनिया है की यमुना के करीब 5 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की जमीन पर 900 फॉर्म हाउस है, जिसे ड्रोन सर्वे के जरिए प्राधिकरण ने नोटिफाइ किया और पहले फेज में 150 फॉर्म हाउस और 4 क्लब को ध्वस्त कर दिया था.
फार्म हाउस मालिक पहुंचे हाईकोर्ट
फार्म हाउस मालिक इसके विरोध में हाईकोर्ट चले गए. हाईकोर्ट ने मालिकों से कहा कि वे सभी प्राधिकरण में अपनी लिखित आपत्ति जमा कर सकते है. इसके बाद प्राधिकरण इसकी जांच करेगा. प्राधिकरण ने अधिकतर प्रत्यावेदनों का निपटारा कर दिया है. इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्यवाही फिर शुरू की गई, लेकिन वहां भी स्टे मिल गया.
यमुना डूबे क्षेत्र में बढ़ती अवैध फार्म हाउस की संख्या पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन ने गुपचुप तरीके से रजिस्टर्ड जीपीए पर रोक लगा दी है. अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की एनओसी के बाद ही डूब क्षेत्र की जमीन की खरीद बिक्री के लिए रजिस्टर्ड जीपीए भी हो सकेगा.
2020 से जमीन रजिस्ट्री पर प्रतिबंध
यहां बता दें की निबंधन विभाग में डूबे क्षेत्र में आने वाले गांव की जमीन पर वर्ष 2020 से रजिस्ट्री प्रतिबंधित है. यह रोक जिला आपदा प्रबंधन कमेटी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने लगाई है.
प्राधिकरण ने यमुना के अधिसूचित क्षेत्र और बाढ़ के मैदान में निर्माण के खिलाफ जून में सार्वजनिक नोटिस जारी किया था. इसमें लिखा था कि यूपी औद्योगिक विकास अधिनियम के प्रावधान के तहत प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में बिना पूर्व अनुमति के निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है.
यदि किसी के द्वारा कोई निर्माण किया गया है तो उसे अविलम्ब हटा दें, अन्यथा यदि नोएडा के अधिसूचित क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण पाया जाता है तो उसे ध्वस्त कर दिया जायेगा.
36 गांवों को मिलाकर बना है नोएडा
गौरतलब है कि 1976 में 36 गांवों को मिलाकर नोएडा को बनाया गया. 2031 मास्टर प्लान के अनुसार इसका क्षेत्र बढ़ाकर 20 हजार 2016 हेक्टेयर किया गया. ये पहला ऐसा शहर है, जिसमें करीब 5 हजार 36 हेक्टेयर जमीन डूबे क्षेत्र यानी यमुना और हिंडन का रिवर बेंड है.
नोयडा प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन रमा रमण ने वर्ष 2015 में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित कर हिंडन व यमुना नदी के किनारे की लगभग 5036 हेक्टेयर जमीन को रिवर फ्रंट के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की थी. रिवर फ्रंट में झीलें, पार्क, साइकिल ट्रैक, पैदल पथ, बगीचा, बैठने के स्थान समेत कई सुविधाएं विकसित की जानी थीं.