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सामान्य बातचीत में 'पागल' कहना IPC के सेक्शन 504 के तहत अपराध नहीं; इलाहाबाद High Court बड़ा फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले से स्पष्ट कर दिया है कि सामान्य बातचीत के दौरान 'पागल' जैसे शब्द अपराधिक नहीं, लेकिन असभ्य है. जब तक कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे को अपराधिक नियत से नहीं करता हो.

Written By arun chaubey | Published : January 17, 2024 11:58 AM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में दिए अपने एक फैसले में बड़ा आदेश दिया है. आदेश में कोर्ट ने कहा कि लोगों की सामान्य बैठक किसी को 'पागल' कहकर संबोधित करना अपराध भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से किया अपमान) के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. जाने-अंजाने में की गई ऐसी टिप्पणी को अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाएगा, जब तक कि उस टिप्पणी का उद्देश्य शांति भंग करने के मकसद से किया गया हो. यह फैसला जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की एकल पीठ ने दिया.

पागल जैसे शब्द असभ्य: कोर्ट

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कोर्ट ने विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते में हुए कहा इस मामले में इस टिप्पणी का स्तर इस हद तक नहीं था, जिससे व्यक्ति को शांति भंग करने के लिए उकसाया (Provoke) जा सके. एकल न्यायधीश वाली बेंच ने इस विषय पर आगे कहा, "अनौपचारिक माहौल में ऐसी टिप्पणियां लापरवाही से हो सकती है, जिसमें जानबूझकर उसकने के साथ-साथ शांति भंग करने का अपराधिक तत्व नहीं होता है. किसी व्यक्ति द्वारा पागल जैसे शब्द का संबोधन असभ्य व अनुचित हो सकता है. लेकिन मेरे विचार से यह आईपीसी की धारा 504 के अंतर्गत अपराधिक कृत्य होने की श्रेणी में नहीं आते. "

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जानें, क्या है पूरा वाक्या?

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दशरथ कुमार दीक्षित नामक व्यक्ति, पेशे से अधिवक्ता होने के साथ-साथ समाजिक कार्यकर्ता (दिव्यांग जन कल्याण और मानवधिकार से जुड़े विषय) भी है. दीक्षित ने अपने जिले के दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए काम कर रही समाजिक संस्था 'किरण' की संचालिका जूडिथ मारिया मोनिका किलर उर्फ संगीता जेके के खिलाफ जिलाधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई. शिकायत में दीक्षित ने संचालिका पर दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए मिलने वाले सरकारी और विदेशी राशि के दुरूपयोग का आरोप लगाया.

जिलाधिकारी ने जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी को मामले की जांच करने को दी. जांच के दौरान 'किरण' की संचालिका संगीता ने शिकायतकर्ता दीक्षित के संबंध में कहा, "दिस पर्सन इज मैड" (यह व्यक्ति पागल है) . वहीं, अधिवक्ता दीक्षित ने संगीता के इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई.

अधिवक्ता दीक्षित ने जांच अधिकारी से इस वक्तव्य की रिकार्डिंग हासिल की और संगीता जेके के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया. मानहानि मुकदमे में मजिस्ट्रेट ने संगीता को समन जारी कर कोर्ट के समक्ष पेश होने को कहा. संगीता ने अपने जबाव में कहा कि उसने ऐसा सामान्य तौर पर कहा था, इसके पीछे कोई बदनीयती नही थी.