अग्निपथ योजना: Delhi HC चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला 27 फरवरी को सुनाएगा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट 27 फरवरी को अपना फैसला सुनाएगा. जिसके तहत कोर्ट तय करेगा कि क्या यह योजना संविधान के अनुरूप है या नहीं. दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ इस पर फैसला सुनाएगी.
सशस्त्रों बलों में युवाओं की भर्ती को लेकर पिछले साल 14 जून को अग्निपथ योजना की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत उम्मीदवारों की आयु सीमा में बदलाव किए गए थे. योजना के नियमों के अनुसार उम्मीदवारों की उम्र 17 साल छ: महीने से 21 वर्ष होनी चाहिए. इसके साथ ही उनके कार्यकाल की समयावधि चार साल कर दी गई. इतना ही नहीं चयनित उम्मीदवारों में से केवल 25 प्रतिशत को ही रखा जाएगा. बाकी को भविष्य के लिए पेशेवर ट्रेनिंग दी जाएगी. जिसको लेकर देशभर में आक्रोश देखने को मिला था. बाद में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया गया.
योजना, इसकी भर्ती प्रक्रिया और उम्मीदवारों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की गई हैं.
Also Read
हाई कोर्ट ने पिछले साल 15 दिसंबर को फैसला सुरक्षित किया था. अदालत ने वकीलों से छुट्टियों से पहले अपनी लिखित दलीलें पेश करने को कहा था. केंद्र ने कहा था कि वह अग्निवीरों की भूमिका, जिम्मेदारियों और पदानुक्रम पर हलफनामा दायर करेंगे,
दिल्ली हाई कोर्ट ने 14 दिसंबर को भारतीय सेना में अग्निवीरों और नियमित सिपाहियों (सैनिकों) के लिए अलग-अलग वेतनमान के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था. कोर्ट न कहा था कि अगर उसका कार्य क्षेत्र एक समान है तो वेतनमान अलग - अलग क्यों.
अदालत के इस सवाल पर केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि अग्निवीर नियमित कैडर से अलग कैडर है.
जवाब में उसी खंडपीठ ने कहा था कि ,अलग-अलग कैडर जॉब प्रोफाइल का जवाब नहीं देते, सवाल काम और जिम्मेदारी का है. अगर जॉब प्रोफाइल समान है, तो आप अलग-अलग वेतन को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? बहुत कुछ जॉब प्रोफाइल पर निर्भर करेगा. इस पर निर्देश प्राप्त कर हलफनामे पर लगाएं.