V Senthil Balaji की जमानत याचिका में खंडित फैसले के बाद अब 11 जुलाई को होगी सुनवाई
चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) में तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी (V Senthil Balaji) की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका पर 11 जुलाई से सुनवाई करेगा।
एक खंडपीठ के इस मामले पर पहले दिये गये एक खंडित फैसले के बाद अब तीसरे न्यायाधीश सुनवाई करेंगे। समाचार एजेंसी भाषा (Bhasha) के अनुसार एचसीपी (HCP) की सुनवाई के लिए तीसरे न्यायाधीश के रूप में नामित न्यायमूर्ति सी वी कार्तिकेयन (Justice CV Karthikeyan) ने 11 जुलाई से बहस शुरू करने के लिए शुक्रवार को एक आदेश पारित किया।
खंडित फैसले पर ED की प्रक्रिया
इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने खंडित फैसला (Split Verdict) देने वाले दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे. निशा बानू (Justice J Nisha Banu) और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती (Justice D Bharatha Chakravarthy) की राय अलग-अलग होने के बारे में बताते हुए सारणीबद्ध तरीके से एक चार्ट तैयार किया था और उसे बालाजी के वकील और अदालत में वितरित किया था।
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न्यायाधीश सी वी कार्तिकेयन ने कही ये बात
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अदालत को दो न्यायाधीशों द्वारा व्यक्त की गई राय के अंतर पर गौर करना होगा। अदालत को यह देखना होगा कि क्या ईडी के पास पुलिस हिरासत मांगने का अधिकार है और क्या हिरासत में लिए गए व्यक्ति को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद एचसीपी पर विचार किया जा सकता है।
भाषा के हिसाब से न्यायाधीश ने कहा कि इस अदालत को यह भी देखना होगा कि क्या पुलिस हिरासत की अवधि को प्रारंभिक रिमांड की तारीख से 15 दिन की अवधि से आगे बढ़ाया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सत्र न्यायाधीश इसकी वर्तमान अवधि समाप्त होने के बाद रिमांड पर आगे की कार्रवाई करेंगे।
शुक्रवार को जब मामले की सुनवाई हुई तो ईडी ने दोनों न्यायाधीशों के बीच तीन तरह के मतभेदों के बारे में बताया। बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. आर. एलंगो ने दो और मतभेदों को जोड़ते हुए एक और चार्ट भी पेश किया। देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General of India Tushar Mehta) ने इस पर आपत्ति जताई।
जब न्यायाधीश ने कहा कि वह एचसीपी पर शनिवार को सुनवाई शुरू करेंगे, तो एलंगो ने कहा कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) याचिकाकर्ता की ओर से पेश हो रहे हैं। व्यक्तिगत कारणों से वह शनिवार को इस मामले पर बहस करने के लिए चेन्नई नहीं आ सकेंगे, लेकिन 11 जुलाई को इस मामले पर बहस करने के लिए यहां आएंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 11 जुलाई को एक संवैधानिक पीठ एक मामले की सुनवाई करेगी और उच्चतम न्यायालय में उनकी उपस्थिति आवश्यक है और अगर अदालत अनुमति देती है तो वह अगले दिन इस मामले पर बहस करेंगे। न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील को 11 जुलाई को अपनी दलीलें शुरू करने दें।
जानें क्या था मामला
बालाजी को 14 जून को ईडी ने नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले में गिरफ्तार किया था। जब यह कथित घोटाला हुआ उस समय वह पूर्ववर्ती अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) सरकार में परिवहन मंत्री थे। बता दें कि इनकी जमानत हेतु याचिका इनकी पत्नी द्वारा दायर की गई है और इसपर जहां मद्रास हाईकोर्ट की जस्टिस जे निशा बानू ने इनके हक में फैसला सुनाया था वहीं जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती ने विरोध किया था।