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'सुनवाई टालने के अनुरोध में ज्यादातर Advocates अपनी झूठी बीमारी का हवाला देते हैं': kerala High Court

केरल हाईकोर्ट ने एनडीपीएसए एक्ट से जुड़े मामलें की सुनवाई करते हुए कहा कि अक्सर अदालतों की कार्रवाई वकीलों की बीमारी के बहाने से बढ़ती है, जो आमतौर पर सही नहीं होती हैं.

Written By My Lord Team | Published : March 12, 2024 5:51 PM IST

Adjournment Requests: आमतौर पर कानूनी प्रक्रियाएं लंबी होती है. इसकी एक वजह सुनवाई को कई बार टालना भी होता है. टालने से मामले में लंबी तारीख मिलती हैं. सुनवाई टालने के इस विषय पर केरल हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि वकील बीमारियों का कारण बताकर छुट्टी लेते हैं, जिससे सुनवाई लंबे समय के लिए टल जाती है. वहीं, ये बीमारियों के बहाने ज्यादातर सही नही हैं. ये माामला गोकुल राज वर्सेस केरल राज्य है. [Gokul Raj v. State Of Kerala]

रातभर जागकर मुकदमों को पढ़ते हैं: Justice

जस्टिस ए बहरूद्दीन ने एक सुनवाई के दौरान यह बातें कहीं. जस्टिस ने कहा. जज केसेस को पढ़ने में अक्सर कई रातें बिना सोये बिता देते हैं. और वहीं सुनवाई से बचने के लिए वकील बीमारी का बहाना बना देते हैं. सुनवाई को टालने के लिए यह उनका आखिरी और कारगर हथियार होता हैं. 

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Advocate साहब बीमार हैं!

सुनवाई टालने के कारण केसों के पेंडेंसी बढ़ रही है, जिससे निपटना अपने आप में बड़ी चुनौती है. 

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बेंच ने कहा, 

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“कोर्ट की कार्यवाही में सहयोग करना वकीलों का दायित्व हैं, जिससे पेंडिंग मुकदमों की संख्या कम हो. यह बार एंड बेंच के सामूहिक प्रयासों से ही संभव हैं. ऐसे में मुकदमों को टालने से यह चुनौती और बढ़ रही है.”

Justice ने लंबित मुकदमों की दिखाई सूची

लंबित केसों की संख्या बढ़ रही है. जस्टिस ने चिंता जाहिर की. साथ ही जुड़े तथ्यों की खोज-परख भी की है. जस्टिस ने पाया कि फरवरी, 2024 तक 12,536 केसेस लंबित है. जस्टिस ने कहा कि अगर एक न्यायाधीश, एक दिन में चार मुकदमों को बंद करते हैं, फिर भी उन्हें मुकदमों को समाप्त करने में 15 साल का समय लगेगा. ऐसे में एक केस हर दिन फाइल हो, तो तीस साल का समय भी कम हैं. 

इस दौरान उन्होंने उन वकीलों की सराहना भी की, जो कोर्ट की सुनवाई में सहयोग को हमेशा तत्पर रहते हैं. 

मुकदमों को टालने पर नाराज हुए Justice

मुकदमों को टालने की बात तब सामने आई, जब एनडीपीएसए के आरोपों से घिरा व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दी. याचिका में उसने जल्द से जल्द केस की सुनवाई पूरी करने की मांग की. हाईकोर्ट ने ट्रायल को तीन महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए. 

वहीं, आरोपी व्यक्ति के वकील ने अपनी बीमारी कारण देते हुए ट्रायल कोर्ट से छह महीने की मांग की. ट्रायल कोर्ट ने मांग खारिज कर दी. वहीं, हाईकोर्ट ने छह महीने की मांग को मांग लिया. इस दौरान वकील साहब की मृत्यु हो गई है. अब, मामले में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया है कि वे आरोपी को दो सप्ताह समय दें, जिसमें वे अपने लिए वकील ढूढ़ सकें.