Adani-Hindenburg Row: जांच के लिए SEBI ने मांगा 6 माह का अतिरिक्त समय, SC 15 मई को सुनाएगा आदेश
नई दिल्ली:अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पूरी करने के लिए सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से 6 माह का अतिरिक्त समय मांगा है. चीफ जस्टिस डीयाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सेबी को 6 महीने का अतिरिक्त समय देने से इंकार करते हुए अब मामले की सुनवाई 15 मई, सोमवार को तय की है.
सेबी की मांग पर सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि जांच के लिए सेबी को हम 6 महीने का समय नहीं दे सकते. सीजेआई ने कहा कि सेबी को काम में थोड़ी तेजी लाने की जरूरत है. हम अगस्त के मध्य में मामले को सूचीबद्ध कर सकते हैं. आप तीन महीने में अपनी जांच पूरी करें और हमारे पास वापस लाए.
SEBI की ओर से टाइम एक्सटेंशन के लिए किए गए आवेदन पर CJI ने 15 मई को आदेश सुनाने के लिए मामले की सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए.
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कमेटी की रिपोर्ट
सुपीम कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित कि गयी छह सदस्यीय कमेटी की ओर से 8 मई को बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
कमेटी की रिपोर्ट पर भी CJI ने कहा कि जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में गठित्की कमेटी की रिपोर्ट आ गई है और उसे हम सप्ताहांत में देखने के बाद सोमवार को सुनवाई करेंगे.
गौरतलब है कि अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट 4 जनहित याचिकाएं दायर हुई थीं. एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की थीं.
याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR दर्ज करने की मांग की है.
2 मार्च के आदेश से गठन
इस मामले पर पहली बार 10 फरवरी को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च के आदेश के जरिए रिटायर्ड जस्टिस एएम सप्रे की अध्यक्षता में 6 सदस्य कमेटी का गठन किया था. जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं.
रिपोर्ट की जांच की मांग
गौररतलब है कि 24 जनवरी को अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी पर आरोपी लगाया गया है कि अपने स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर हेराफेरी और अनाचार किया गया.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से, शेयर बाजार में अडानी के शेयरों में गिरावट आई है. स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ अडानी समूह को अपने एफपीओ को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
अडानी ग्रुप की ओर से भी इस मामले में 413 पन्नों का जवाब प्रकाशित करके आरोपों का खंडन करते हुए इसे भारत के खिलाफ हमला बताया था.
हिंडनबर्ग ने एक रिज्वाइंडर के साथ यह कहते हुए पलटवार किया था कि धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद द्वारा अस्पष्ट नहीं किया जा सकता है और वह अपनी रिपोर्ट पर कायम है.
एम एल शर्मा की याचिका में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे एक बड़ी साजिश होने की भी जांच की मांग की गई है.