दिल्ली में स्कूली छात्रा पर एसिड अटैक, आत्मरक्षा में हमलावर के साथ क्या कर सकते है पीड़ित
नई दिल्ली, राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह एक बार एसिड अटैक का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. जिसमें एक 17 वर्ष युवती पर दो बाइक सवार लड़कों ने तेजाब डाला है. लेकिन क्या आप जानते है कि एसिड अटैक के दौरान एक लड़की, महिला या पीड़ित हमलावर के खिलाफ अपनी आत्मरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.
पीड़ित को आत्मरक्षा का अधिकार
जी हां, IPC की धारा 100 के तहत एसिड अटैक के दौरान एक पीड़ित को ये अधिकार है कि वो अपनी आत्मरक्षा के लिए किसी भी हद जा सकता है यहां तक कि शरीर की निजी प्रतिरक्षा या आत्मरक्षा में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में भी कानून उसके साथ खड़ा होगा.
आईपीसी इस धारा में उन 7 परिस्थितियों का जिक्र किया गया है जब एक महिला के लिए ही नहीं बल्कि देश का कोई भी नागरिक अपने शरीर की निजी प्रतिरक्षा या आत्मरक्षा में बल का प्रयोग कर सकता है भले ही इस दौरान हमलावरों व्यक्ति की मृत्यु क्यों ना हो जाए.
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प्रतिवर्ष बढ रहे है हमलें
देश में एसिड अटैक की यह ऐसे कोई अकेली घटना नहीं है बल्कि हर वर्ष 100 से अधिक एसिड अटैक के मामलें दर्ज़ होते हैं, जिसमें मुख्य तौर पर युवतियों और महिलाओं के खिलाफ ही ये अपराध होते है
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सरकार की ओर से बताया गया था कि साल 2018 से 2020 के बीच देश में महिलाओं पर एसिड हमलों के 386 मामले दर्ज किए गए थे. जिनमें वर्ष 2018 में 131, 2019 में 150 और वर्ष 2020 में 105 मामले दर्ज किए गए थे.
हत्या से भी बुरा है एसिड अटैक
वर्ष 2013 में ही एक एसिड अटैक पीड़ितों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसिड हमलों के पीड़ितों के इलाज और सुविधाओं के लिए नई गाइडलाइन जारी की. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते कहा कि "एसिड हमला, हत्या से भी बुरा है. इससे पीड़ित का जीवन पूरी तरह बर्बाद हो जाता है."
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में की गई टिप्पणियों और आदेश के बाद केंद्र सरकार ने भी कई अहम बदलाव किए. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही देश में तेजाब की खुली बिक्री पर भी रोक लगाई थी.
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अब देश में 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को तेजाब नहीं बेचा जा सकता. जिसके बाद देशभर में तेजाब खरीदने के लिए फ़ोटो पहचान पत्र ज़रूरी और उसके पते की जानकारी रखना अनिवार्य कर दिया गया है.
एसिड अटैक बना एक अपराध
देश में बढ़ती एसिड अटैक की घटनाओं के बाद वर्ष 2013 में एसिड हमलों को अपराध की श्रेणी में लाया गया. इसके लिए आईपीसी की धारा 326 में धारा 326 ए और धारा 326 बी जोड़ी गई.
कुछ मामलों में दोषियों को हर्जाने के तौर पर पीड़ित के इलाज में खर्च होने वाली राशि जितना ही भुगतान करना पड़ सकता है.एसिड हमले के पीड़ितों को मुफ्त इलाज के साथ ही कम से कम 3 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का भी प्रावधान है.
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को एसिड हमले के शिकार को तुरंत कम से कम तीन लाख रुपये की मदद देने का प्रावधान किया गया है. ऐसे मामलो में पीड़िता का निशुल्क इलाज भी सरकार की ज़िम्मेदारी है.
क्या है सजा का प्रावधान
IPC की धारा 326-ए के अनुसार किसी भी नागरिक पर जानबूझकर तेजाब फेंकने से पीड़ित को स्थाई या आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है तो इसे एक बहुत अपराध माना जाएगा.
ऐसे अपराधी को इस धारा के तहत कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन उम्रकैद की सज़ा दी जा सकती है. साथ ही दोषी पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है. अदालत अपने विवेक के अनुसार जेल और जुर्माने की सजा एक साथ भी दे सकती है. अपराधी से वसूले गए जुर्माने की राशि पीड़िता को देने का प्रावधान है.
IPC की धारा 326-बी के अनुसार किसी व्यक्ति पर केवल एसिड अटैक का प्रयास करना भी दंडनीय अपराध है. अपराध साबित होने पर दोषी को कम से कम पांच साल और अधिकतम सात वर्ष तक की सजा हो सकती है और दोषी पर जुर्माना भी लगाया जाएगा.
तेजाब बेचने के मामले में भी गैरकानूनी ढंग से तेजाब बेचने वाले पर सरकार 50,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
पीड़िता के लिए मुआवजा भी
एसिड अटैक से पीड़ित व्यक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण ने 2018 में एक विशेष राहत एवं पुनर्वास योजना भी शुरू की. इस योजना के अनुसार प्रत्येक एसिड अटैक पीड़ित के लिए मुआवजे का प्रावधान किया गया.
चेहरा ख़राब होने पर- कम से कम 7 लाख और अधिकतम 8 लाख का मुआवज़ा मिलेगा।
50% से अधिक चोटिल होने पर - कम से कम 5 लाख और अधिकतम 8 लाख का मुआवज़ा मिलेगा।
50% से कम चोट लगने पर- कम से कम 3 लाख और अधिकतम 5 लाख का मुआवज़ा मिलेगा।
20% से कम चोट लगने पर- कम से कम 3 लाख और अधिकतम 4 लाख का मुआवज़ा मिलेगा।
केंद्र सरकार द्वारा भी पीड़िता की तुरंत आर्थिक सहायता करने के उद्देशय से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय रहत (National Prime Minister’s Relief Fund) कोष से 1 लाख रुपये की राशि पीड़िता को दी जाएगी। इस आर्थिक सहायता का प्रभाव अंतिम मुआवज़े पर बिलकुल नहीं पड़ेगा और वह अलग से दिया जाना अनिवार्य है.