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पीड़िता के जमानतदार बनने पर ही आरोपी की रिहाई होगी, Patna HC के फैसले पर बिफरा सुप्रीम कोर्ट

पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट के जमानती शर्त 'पीड़िता के जमानतदार बनने पर आरोपी की रिहाई' देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आरोपी को रिहा करने के आदेश दिए हैं.

Written By Satyam Kumar | Published : July 3, 2024 1:13 PM IST

Victim As Surety For Accused: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्तों से नाराजगी जाहिर की, शर्त को बेतुका कहा. पटना हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी थी लेकिन शर्त लगाई कि जमानत का पालन पीड़िता के जमानतदार (Surety) बनने पर ही मिलेगी. पीड़िता के जमानतदार बनने की शर्त के चलते आरोपी को एक साल तक जमानत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इसी शर्त से नाराजगी जाहिर की है. और 'पीड़िता के जमानतदार' वाली शर्त को संशोधित किया है.

पीड़िता को जमानतदार बनाने की शर्त 'बेतुका' 

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच की बेंच ने इस मामले को सुना.

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अदालत ने कहा,

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"पटना हाईकोर्ट का यह शर्त बेतुका है. केवल इस शर्त के चलते याचिकाकर्ता को जमानत मिलने के बाद भी वह साल भर से जेल में है."

अदालत ने आगे कहा,

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"याचिकाकर्ता को उन शर्तों व नियमों के अधीन जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट उचित समझे."

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के 25 जुलाई, 2023 के शर्त पर रोक लगाई है. आरोपी को रिहा करने के आदेश भी दिए है. वहीं, आदेश पर हुई कार्रवाई से अवगत कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया है.

मामला क्या है? 

याचिकाकर्ता ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 34 के साथ धारा 366 (ए) के तहत दंडनीय अपराध के लिए बहेरा पुलिस स्टेशन, दरभंगा, बिहार राज्य में 26 जनवरी 2023 को पंजीकृत FIR के संबंध में पटना हाईकोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थना की. पटना हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2023 के दिन आरोपी को जमानत दी. लेकिन शर्त लगाया कि रिहाई पीड़िता के जमानतदार बनने पर ही होगी. इस शर्त के चलते आरोपी को एक साल तक जेल में रहना पड़ा. अब सुप्रीम कोर्ट ने उस शर्त को संशोधित कर आरोपी को रिहा करने का आदेश सुनाया है. वही, सुप्रीम कोर्ट चार सप्ताह में मामले को फिर से सुनेगी.

IPC की धारा 366ए : जो कोई भी, किसी भी तरह से, अठारह वर्ष से कम आयु की किसी नाबालिग लड़की को किसी भी स्थान से जाने के लिए या कोई ऐसा कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, जिसका आशय यह हो कि ऐसी लड़की को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संभोग करने के लिए मजबूर किया जा सकता है या यह जानते हुए कि ऐसा होने की संभावना है, उसे दस साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी देना होगा

IPC की धारा 34: भारतीय दंड संहिता की धारा 34 के अनुसार जब कोई आपराधिक कृत्य कई व्यक्तियों द्वारा एक ही इरादे से किया जाता है तो उनमें से प्रत्येक व्यक्ति उस कृत्य के लिए उत्तरदायी होगा.