'Police की जांच में खामियां हैं', इलाहाबाद HC ने DGP को किया तलब, Rape के आरोपी को भी मिली जमानत
Rape Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में बलात्कार मामले में आरोपी को जमानत दे दी है. अदालत ने पाया कि जांच अधिकारी (Investigation Officer) ने पीड़िता से जरूरी सवाल नहीं पूछे. साथ ही जांच में भी अन्य खामियां है. पुलिस की जांच में खामियों के चलते अदालत ने यूपी पुलिस महानिदेशक से जवाब की मांग हुई है.
आरोपी के खिलाफ 14 वर्षीय पीड़िता व अभियोजन पक्ष (राज्य) के बयान में अंतर पाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दिया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस राजीव सिंह की एकल बेंच ने आरोपी को जमानत देते हुए पुलिस जांच में खामियों से नाराजगी जताई है. जस्टिस, रिकार्ड पर रखे गए दस्तावेजों को देखकर भौंचक रह गए. उन्होंने पाया कि घटना के वक्त 14 वर्षीय पीड़िता नौ सप्ताह की गर्भवती थी. केस के जांच अधिकारी (I.O) ने उससे गर्भवस्था को लेकर जवाब तलब नहीं की. 'गर्भावस्था' के बिंदु पर सुपरवाइजिंग ऑफिसर ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई.
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अदालत ने कहा,
"यह जांच और सुपरविजन की खराब क्वलिटी का एक मामला है. वर्तमान मामले में, पीड़िता की आयु लगभग 14 वर्ष है और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट के अनुसार वह नौ सप्ताह की गर्भवती थी, लेकिन जांच अधिकारी (I.O) द्वारा उसकी गर्भावस्था के बारे में कोई प्रश्न नहीं पूछा गया और पर्यवेक्षण अधिकारी (Supervising Officer) ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया."
अदालत ने यूपी राज्य के महानिदेशक को जवाब तलब किया है. 29 जुलाई (अगली सुनवाई) के दिन उन्हें अदालत के सामने उपस्थित रहना होगा और अधिकारियों की जवाबदेही से जुड़े डॉक्यूमेंट्स को हलफनामे के माध्यम से अदालत के सामने रखना है.
अदालत ने आरोपी को जमानत दी. कारण बताया कि 14 वर्षीय पीड़िता का बयान और अभियोजन पक्ष (राज्य) के बयान से भिन्न है. इसे ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी है. आरोपी को जमानत, दो जमानतदार और बेल बॉन्ड भरने की शर्तों पर मिली है.
किस आधार पर मांगी जमानत?
लंबित मुकदमा (पेंडिंग ट्रायल) और चार्जशीट जमा होने के आधार पर आरोपी ने जमानत की मांग की थी, जिसके बाद अदालत ने आरोपी को राहत दे दी है.
विवाद क्या है?
14 पीड़िता घर से 21 अप्रैल 2023 के दिन से लापता थी. उसके भाई ने इस बात की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने IPC की धारा 363 के तहत गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज किया. शिकायत दर्ज होने के बाद पीड़िता खुद थाने पर जाकर 'बालिग' होने का दावा किया. पुलिस ने बयान सीआरपीसी की सेक्शन 161 के तहत दर्ज किया. उसे डॉक्टर के पास जांच के लिए ले गई. जांच में किसी तरह की आंतरिक चोट नहीं मिली. सितंबर, 2023 में उसका अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट सामने आया, जिसमें उसका गर्भ नौ महीने का हो चुका है.
अब, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस जांच में खामियों को पाते हुए पुलिस महानिदेशक से जवाब की मांग की है.