Article 370: Supreme Court में Kapil Sibal ने पेश की अपनी आखिरी जिरह, कल से फिर शुरू होगी सुनवाई
नई दिल्ली: 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था जिसके चलते जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस भी ले लिया गया था। लगभग चार साल बाद, उच्चतम न्यायालय में केंद्र के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई हो रही है. आज 8 अगस्त, 2023 को सुनवाई का तीसरा दिन था जिसके अंत में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने अपनी आखिरी जिरह पेश की।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud), न्यायाधीश संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul), न्यायाधीश संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna), न्यायाधीश बी आर गवई (Justice BR Gavai) और न्यायाधीश सूर्य कांत (Justice Surya Kant) की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
Article 370 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अगली सुनवाई
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तीन दिन के बाद कपिल सिब्बल की बहस पूरी हो चुकी है। सुनवाई कल यानी 9 अगस्त, 2023 को दोबारा शुरू होगी और बहस वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम (Gopal Subramaniam) करेंगे।
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Kapil Sibal ने पेश की आखिरी जिरह
तीन दिन बाद अपनी बहस को कन्क्लूड करते हुए कपिल सिब्बल ने यह कहा है, 'जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व करने वाली आवाज आखिर कहां है, पिछले चार सालों में उन्हें क्यों नहीं सुना गया है? आपने एक कार्यकारी अधिनियम (Executive Act) के जरिए 'अनुमति' को समाप्त कर दिया, आप उनकि राय नहीं लेते हैं.. हम आज ये कहां खड़े हैं?'
कपिल सिब्बल आगे कहते हैं, 'माना कि संविधान एक राजनैतिक दस्तावेज है लेकिन आप राजनीतिक उद्देश्य के लिए इसके प्रावधानों में हेरफेर नहीं कर सकते। समय या गया है कि अदालत हस्तक्षेप करे क्योंकि अगर लोगों की आवाज को इस तरह की कार्यकारी गतिविधियों के माध्यम से शांत करा दिया जाएगा तो हमारे भविष्य में क्या होगा?
अपनी अंतिम जिरह पेश करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, 'न सिर्फ आज के लिए बल्कि आने वाले कल के लिए भी ये एक ऐतिहासिक मामला है। मैं उम्मीद करता हूँ कि अदालत इसके लिए खड़ी होगी।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ...
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने पूछा था कि अगर यह मान लिया जाए कि 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा (Constituent Assembly) भंग होने पर संविधान का अनुच्छेद 370 स्थायी हो गया तो क्या यह अनुच्छेद संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा बन जाएगा?