Gauhati HC की 75वीं वर्षगांठ: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, CJI, असम के राज्यपाल, CM सहित कई हस्तियां करेगी समारोह में शिरकत
नई दिल्ली: देश की आजादी के बाद आजाद भारत में प्रथम हाईकोर्ट के रूप में स्थापित होने वाले तत्कालीन असम हाईकोर्ट और वर्तमान में गुवाहाटी हाईकोर्ट 5 अप्रैल को अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहा हैं. 5 अप्रैल 1948 को स्थापित गुवाहाटी हाईकोर्ट की 75वीं वर्षगांठ पर 1 अप्रैल से 14 अप्रैल तक कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है.
हाईकोर्ट की 75 वीं वर्षगांठ पर आयोजित होने वाले समारोह में देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़, पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा शिरकत करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के दिन गुवाहाटी हाईकोर्ट स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के समापन समारोह के मुख्य अतिथि होंगे.
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1 अप्रैल से शुरू हुए कार्यक्रम
गुवाहाटी की स्थापना के 75 वीं वर्ष पर आयोजित होने समारोह की शुरुआत 1 अप्रैल को भारतीय न्यायपालिका में आईसीटी का प्रयोग विषय पर आयोजित सेमिनार से हुई. समारोह में गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता ने हाईकोर्ट के ऐतिहासिक महत्व से लेकर वर्तमान की उपलब्धियों की जानकारी साझा की.
सेमीनार के उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित हुए सत्रों में गुवाहाटी और राजस्थान हाईकोर्ट के जजों ने भी शिरकत की.
आजादी के बाद पहला हाईकोर्ट
देश की आजादी के बाद असम राज्य के लिए अलग से हाईकोर्ट की मांग जोर पकड़ने लगी थी. हाईकोर्ट की यह मांग एक जन आंदोलन के रूप में परिवर्तित होने लगी थी. यहां तक की जनप्रतिनिधि भी खुले तौर पर हाईकोर्ट की मांग को लेकर सरकार की खिलाफत में उतर आए.
आखिरकार असम के लिए अलग हाईकोर्ट की मांग को लेकर असम विधान सभा ने 9 सितंबर 1947 को एक प्रस्ताव भी पारित किया.
भारत सरकार अधिनियम 1935 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए असम राज्य के लिए अलग से असम हाई कोर्ट स्थापित करने का निर्णय लिया गया गया. 5 अप्रैल 1948 को शिलांग में असम हाई कोर्ट की स्थापना की गई. उस समय तक शिलांग तत्कालीन असम राज्य की राजधानी थी, वर्तमान में शिलांग मेघालय राज्य की राजधानी है.
असम हाईकोर्ट का उद्घाटन करने देश के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एच जे कानिया खुद पहुंचे थे. सर आरएफ लॉज असम हाईकोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए. शुरुआत में इस हाईकोर्ट की बैठक शिलांग हुई लेकिन 14 अगस्त 1948 को गुवाहाटी में स्थानांतरित कर दिया गया.
दो बार बदले गए नाम
1 दिसंबर, 1963 को नागालैंड को अलग राज्य घोषित करने के साथ ही असम हाईकोर्ट का नाम बदलकर असम और नागालैंड हाईकोर्ट किया गया. इसे मूल रूप से असम और नागालैंड के हाईकोर्ट के रूप में ही जाना जाता था,
असम और नागालैंड हाईकोर्ट को असम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय के पांच उत्तर-पूर्वी राज्यों का क्षेत्राधिकार था. साथ ही दो केन्द्रशासित प्रदेशों के रूप में मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश भी शामिल थे.
लेकिन वर्ष 1971 में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 पारित किए जाने के बाद एक बार फिर इसका नाम बदलकर गुवाहाटी हाईकोर्ट किया गया.
इस तरह गुवाहाटी हाईकोर्ट देश के 7 North East राज्यों के लिए एक समान हाईकोर्ट बन गया.
बदलता रहा क्षेत्राधिकार भी
23 मार्च 2013 को मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा राज्य के लिए अगल हाईकोर्ट स्थापित होने के बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट के अधीन वर्तमान असम, नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश का न्यायिक क्षेत्राधिकार रह गया.
इस तरह अपनी स्थापना से लेकर अब तक यह हाईकोर्ट असम हाईकोर्ट, असम नागालैंड हाईकोर्ट से होते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट तक पहुंचा है.
गुवाहाटी हाईकोर्ट वर्तमान में असम राज्य के साथ ही अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम राज्यों के हाईकोर्ट के रूप में कार्य कर रहा है.
गुवाहाटी हाईकोर्ट की मुख्यपीठ गुवाहाटी में स्थापित है वही कोहिमा(Nagaland), आइजोल (Mizoram) और ईटानगर (Arunachal Pradesh) में इसकी स्थायी सर्किट बेंच कार्यरत है.
और भवन भी
असम हाईकोर्ट को 14 अगस्त, 1948 को गुवाहाटी में पुराने आयुक्त भवन में स्थानांतरित किया गया, बाद में इसे 20 फरवरी, 1957 को एक गुंबददार संरचना वाली इमारत (अब हाईकोर्ट के पुराने ब्लॉक) में स्थानांतरित कर दिया गया था.
16 दिसंबर, 2013 ब्रह्मपुत्र नदी के निकट गुवाहाटी हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन किया गया, जहां वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश सहित सभी जजों की बेंच बैठती है.
गुवाहाटी हाईकोर्ट 5 अप्रैल 2023 को अपनी स्थापना 75वीं वर्षगांठ पर Platinum Jubilee मना रहा है. इस मौके पर डाक विभाग की ओर से गुवाहाटी हाईकोर्ट की पुरानी बिल्डिंग को दर्शाते हुए एक डाक टिकट भी जारी कर रहा है.