Advertisement

सेवानिवृति से 27 दिन पूर्व कॉलेजियम ने बदली सिफारिश, जस्टिस जसवंत सिंह होंगे अब त्रिपुरा के सीजे

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को केन्द्र सरकार अगले एक सप्ताह के भीतर मंजूरी देने के साथ ही उनके नियुक्ति आदेश भी जारी होते है, तो भी देश की न्यायपालिका में किसी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस जसवंतसिंह का कार्यकाल सबसे छोटा कार्यकाल होगा. और ये एक अनचाहा रिकॉर्ड जस्टिस जसवं​तसिंह के नाम दर्ज होगा.

Written By Nizam Kantaliya | Published : January 26, 2023 5:34 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आखिरकार लंबे इंतजार के बाद जस्टिस जसवंत सिंह के नाम की अपनी पूर्व में की गई सिफारिश को वापस लेते हुए अब उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश केन्द्र सरकार को भेजी है.

मूल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वर्ष 2007 में जज नियुक्त होने वाले जस्टिस जसवंत सिंह अगले 27 दिन बाद ही यानी 22 फरवरी 2023 को सेवानिवृत होने वाले है.

Advertisement

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता में हुई कॉलेजियम की बैठक में जस्टिस जसवंत सिंह के लिए पूर्व में की गई सिफारिश को वापस लेने का निर्णय लिया गया है. साथ ही अब उन्हे त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गई है.

Also Read

More News

चार माह का लंबा इंतजार

गौरतलब है कि पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में 28 सितंबर 2022 को हुई कॉलेजियम की बैठक में दो मुख्य न्यायाधीशों के तबादले के साथ ही जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी.

Advertisement

कॉलेजियम ने जिन दो मुख्य न्यायाधीशों के तबादलें की सिफारिश की थी उसमें से एक उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर भी शामिल थे.

कॉलेजियम ने जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला उड़ीसा से मद्रास हाईकोर्ट में करते हुए जस्टिस सिंह को उड़ीसा सीजे बनाने की सिफारिश केंद्र को भेजी थी.

सूत्रों के अनुसार केन्द्र जस्टिस मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य बनाने की सिफारिश से सहमत नहीं हुआ, जिसके चलते 28 सितंबर 2022 से जस्टिस मुरलीधर का तबादले का आदेश पेडिंग है.

ऐसे में जस्टिस मुरलीधर के तबादले को मंजूरी नहीं मिलने से उड़ीसा हाईकोर्ट का पद रिक्त नही हो पाया, और ना ही जस्टिस जसवंत सिंह उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ही बन पाए.

सूत्रों के अनुसार केंद्र के रुख को देखते हुए अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस जसवंत सिंह को उड़ीसा की बजाए त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है.

सबसे छोटा कार्यकाल

गौरतलब है कि देश की उच्च न्यायपालिका में वर्तमान में पंजाब हरियाणा का प्रतिनिधित्व कम है. सुप्रीम कोर्ट में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से एकमात्र जज जस्टिस सूर्यकांत मौजूद है. वही देश के 25 हाईकोर्ट में स्थायी मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कोई प्रतिनिधित्व नहीं है.

हाल ही में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एए सैयद की सेवानिवृति के चलते जरूर जस्टिस सबीना को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है.

इसके बावजूद की वरिष्ठता के अनुसार जस्टिस सिंह पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज है उड़ीसा मुख्य न्यायाधीश बनने की कॉलेजियम की सिफारिश को केंद्र की मंजूरी नहीं मिलने के चलते चार माह से वे इंतजार कर रहे थे.

सेवानिवृति से एक माह पूर्व अब कॉलेजियम ने जस्टिस सिंह को त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश कर उनकी वरिष्ठता को फिर से एक सम्मान दिया है.

मैराथन स्तर पर जस्टिस सिंह की नियुक्ति अगले एक सप्ताह में होने के बावजूद मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल शायद देश की न्यायपालिका के इतिहास में सबसे छोटा कार्यकाल हो सकता है.

2007 में बने थे हाईकोर्ट जज

23 फरवरी 1961 को हरियाणा के रोहतक में जन्में मूल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस जसवंत सिंह वर्तमान में उड़ीसा हाईकोर्ट के सीनियर मोस्ट जज है. रोहतक और मसूरी में अपनी प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से उन्होंने लॉ डिग्री की हासिल की.

वर्ष 1986 में एक वकील के रूप में अपना पंजीकरण कराने के साथ ही उन्होंने सिरसा जिला अदालत में वकालत का सफर शुरू किया. दो वर्ष बाद ही अप्रैल 1988 में वे चण्डीगढ शिफ्ट हो गए और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत करने लगे.

वर्ष 1991 में उन्हे हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए एडवोकेट जनरल कार्यालय में सरकारी अधिवक्ता से लेकर AAG तक बने.

करीब 20 वर्ष की वकालत के बाद उन्हें 5 दिसंबर 2007 को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में 14 वर्ष तक जज रहने के बाद 8 अक्टूबर 2021 को तबादले के बाद उन्हे उड़ीसा हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया.