2020 Delhi Riots: उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद, जो कि 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था, की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और बेला एम त्रिवेदी की पीठ से सोमवार को याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई पर एक सप्ताह की अवधि के लिए स्थगन की मांग की थी, जिस पर अदालत ने सुनवाई को स्थगित कर दिया। शीर्ष अदालत की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह मामला 9 अगस्त को सूचीबद्ध होने की संभावना है।
गौरतलब है कि उमर खालिद की याचिका के जवाब में दिल्ली पुलिस ने रविवार को जवाबी हलफनामा दायर किया था, जो अभी तक आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड पर प्राप्त नहीं हुआ है। इसके पहले 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 24 जुलाई के लिए पोस्ट कर दिया था।
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जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस के वकील ने हजारों पन्नों की चार्जशीट का हवाला देते हुए जवाब दाखिल करने का और समय मांगा था।
उमर खालिद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि वह आदमी दो साल और ग्यारह महीने से हिरासत में है। कौन सा शपथ पत्र दायर करने के लिए है? यह एक जमानत याचिका है।
यहां बता दे कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत से इनकार के खिलाफ उमर खालिद ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की पीठ ने पिछले साल 18 अक्टूबर को नियमित जमानत की मांग करने वाली उमर खालिद की अपील खारिज कर दी थी।
उमर खालिद नेट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसने उन्हें यूएपीए मामले में जमानत देने से इनकार किया था।
उल्लेखनीय है की नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान अमरावती में दिए गए कथित विवादित भाषण, दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद के खिलाफ आरोपों का आधार दिल्ली पुलिस के अनुसार दंगों से जुड़े कथित बड़े षड्यंत्र मामले में शामिल लगभग एक दर्जन लोगों में जेएनयू स्कॉलर और कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम शामिल हैं।
फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी और सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प ने हिंसक रूप ले लिया था, और दंगे भड़क उठे थे जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान चली गई और 700 से अधिक घायल हो गए थे।