1 जुलाई से पहले दर्ज सभी अंडरट्रायल मामलों में BNSS की धारा 479 लागू होगी : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया
केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) की धारा 479, 1 जुलाई से पहले दर्ज किए गए सभी विचाराधीन मामलों (Undertrial Cases) में लागू होगी. केंद्र द्वारा प्रस्तुत किए गए सबमिशन पर ध्यान देने के बाद कोर्ट ने कहा कि बीएनएसएस की धारा 479 देश भर के विचाराधीन कैदियों पर पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी.
ANI की रिपोर्ट के अनुसार,केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच के समक्ष कहा,
"भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) की धारा 479 1 जुलाई, 2024 से पहले दर्ज किए गए सभी मामलों में विचाराधीन कैदियों पर लागू होगी."
पिछली सुनवाई में सीनियर एडवोकेट गौरव अग्रवाल, एमिकस क्यूरी ने धारा 479 के तहत विचाराधीन कैदियों को हिरासत में रखने की अधिकतम अवधि से संबंधित प्रावधान को चिन्हित किया था। उन्होंने धारा 479 के पहले प्रावधान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए आग्रह किया था कि यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष कानून के तहत ऐसे अपराध के लिए कारावास की अधिकतम अवधि के एक तिहाई तक की अवधि तक हिरासत में रह चुका है, तो उसे न्यायालय द्वारा जमानत पर रिहा किया जाना आवश्यक है. उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया था कि उक्त प्रावधान को जल्द से जल्द लागू करने की आवश्यकता है और इससे जेलों में भीड़भाड़ की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी.
Also Read
- बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन करने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; RJD, TMC सहित इन लोगों ने दायर की याचिका, अगली सुनवाई 10 जुलाई को
- BCCI को नहीं, ललित मोदी को ही भरना पड़ेगा 10.65 करोड़ का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले में दखल देने से किया इंकार
- अरूणाचल प्रदेश की ओर से भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाकर देने के फैसले पर लगाई रोक, केन्द्र की याचिका पर जारी किया नोटिस
न्यायालय देश की जेलों में भीड़भाड़ से निपटने के लिए अपने द्वारा शुरू की गई एक स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई कर रहा था. शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को देश भर के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे प्रावधान की उप-धारा में उल्लिखित अवधि के एक तिहाई पूरा होने पर संबंधित न्यायालयों के माध्यम से पहली बार विचाराधीन कैदियों के आवेदनों पर कार्रवाई करें.