हिजाब मामले से चर्चा में आए जस्टिस हेमंत गुप्ता बने NDIAC के अध्यक्ष
नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस हेमंत गुप्ता को नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (NDIAC) का अध्यक्ष नियुक्त किया है. इस मामले में केन्द्र सरकार ने बुधवार को नियुक्ति की अधिसूचना जारी की.
जस्टिस हेमंत गुप्ता की नियुक्ति के साथ इस केन्द्र में अंशकालिक सदस्य के तौर पर गणेश चंद्रू और अनंत विजय पल्ली को नियुक्त किया गया है. जस्टिस हेमंत गुप्ता अपनी सेवानिवृति से पूर्व हिजाब बैन को लेकर दिए फैसले से चर्चा में आए थे.
जस्टिस हेमंत गुप्ता सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच की अध्यक्षता कर रहे थे जिसने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई की थी. जस्टिस सुधांशु धूलिया इस बेंच के दूसरे सदस्य थे. दोनो जजो की बंटी हुई राय के चलते मामले को संविधान पीठ को भेजा गया.
बदला है नाम भी
एक सप्ताह पूर्व ही केन्द्र सरकार ने संसद में नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र संशोधन विधेयक, 2022 को मंजूरी दी थी. जिसके जरिए सरकार ने मध्यस्थता केंद्र का नाम नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र से बदलकर भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र करने का प्रावधान किया है.
राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को मंजूरी दिये जाने पर नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का नाम परिवर्तित होकर भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र हो जाएगा.
NDIAC मध्यस्थता केन्द्र है जिसे व्यापारिक प्रतिष्ठानों, बड़ी कंपनियों और अन्य व्यापारिक घरानों के बीच हुए विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता और सुलह की कार्यवाही करने के लिए बनाया गया है.
कब और क्यों हुई थी NDIAC की स्थापना
NDIAC की स्थापना 2019 में हुई थी. संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में घोषित किया गया. यह संस्थागत मध्यस्थता के लिए एक शासन स्थापित करना चाहता है.
हिजाब बैन मामले से आए चर्चा में
जस्टिस हेमंत गुप्ता देश की सर्वोच्च अदालत में 2 नवंबर, 2018 से 16 अक्टूबर, 2022 तक जज रहे है. को सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल करीब चार साल का रहा है. मूल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता को हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था.
जस्टिस हेमंत गुप्ता हिजाब बैन मामले में अपने फैसले के बाद सुर्खियों में आए थे. इस मामले की सुनवाई करते जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब बैन के फैसले के खिलाफ दाखिल 26 अपील को खारिज कर दिया और हिजाब बैन के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.
सेवानिवृति से दो दिन पूर्व फैसला सुनाते हुए जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा था कि धर्मनिरपेक्षता सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होती है. एक धार्मिक समुदाय को धार्मिक प्रतीकों को पहनने की अनुमति देना धर्मनिरपेक्षता का विरोधी होगा. उन्होने कहा था कि सरकार के आदेश को धर्मनिरपेक्षता या कर्नाटक शिक्षा अधिनियम के उद्देश्य के खिलाफ नहीं कहा जा सकता है.