सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार पर लगाया 1 लाख का जुर्माना
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने एक सेवानिवृति स्वीपर-कम-सैनिटरी कर्मचारी की पेंशन के मामलो अनावश्यक रूप से लंबित रखने और लगातार मुकदमेंबाजी में फसाएं रखने के लिए तमिलनाडु सरकार पर 1 लाख का जुर्माना लगाया है. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने ये आदेश तमिलनाडु सरकार की ओर से मुख्य सचिव द्वारा पेश कि गयी अपील पर सुनवाई करते हुए दिए है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिना किसी कारण के लंबा खीचने के लिए जुर्माने की राशि जिम्मेदार लोगों से वसूल करने के भी निर्देश दिए.
2012 में हुआ था सेवानिवृत
तमिलनाडु निवासी K. LAKSHMANAN को 1992 में तदर्थ आधार पर सफाईकर्मी के रूप में शामिल किए गए थे. वर्ष 2002 में उन्हे तमिलनाडु सरकार की और से नियमित किया गया. 20 साल की सेवा के बाद वर्ष 2012 में K.LAKSHMANAN स्वीपर-कम-सैनिटरी कर्मचारी के पद से सेवानिवृत हो गए.
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सेवानिवृति के बाद पेंशन व अन्य लाभ नहीं मिलने पर याचिकाकर्ता ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की. मद्रास हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 2017 में K. LAKSHMANAN व अन्य की और से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पेंशन व अन्य लाभ को बरकरार रखने का फैसला दिया.
हाईकोर्ट की एकलपीठ के इस फैसले के खिलाफ सरकार ने खण्डपीठ के समक्ष अपील दायर कर चुनौति दी. मद्रास हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने वर्ष 2020 में राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और एकलपीठ के फैसले को बरकरार रखा.
अपील में देरी
हाईकोर्ट के फैसले के करीब दो साल बाद मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गयी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ये जानकारी में आया कि इससे पूर्व ही रिट, इंट्रा-कोर्ट अपील और एक समीक्षा याचिका भी सरकार द्वारा दायर की गयी थी जिसे खारिज कर दिया गया था.
मामले को लंबा खीचने के सरकार के रवैये के प्रति भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस विशेष अनुमति याचिका के द्वारा अनावश्यक रूप से एक स्वीपर-कम-सैनिटरी कर्मचारी के पेंशन संबंधी अधिकारों के मामले को मुकदमेबाजी में घसीटने की मांग कि जा रही है.
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील देरी करने के लिए कोविड का कारण बताया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस जवाब से संतुष्टी नही जताई और कहा कि "विशेष अनुमति याचिका दायर करने में देरी की माफी मांगने वाला आवेदन इस तरह की देरी के लिए किसी भी ठोस कारण से रहित है.
4 सप्ताह में जमा कराए जुर्माना
पीठ ने कहा कि परिस्थितियों की समग्रता में, हम याचिकाओं को दायर करने में देरी को माफ करने का बिल्कुल कोई कारण नहीं पाते हैं और देरी की माफी की मांग करने वाले आवेदन को खारिज करने के इच्छुक हैं,
पीठ कोर्ट ने कहा "वर्तमान मामले में हम याचिकाकर्ता के लिए इस मुकदमे को लंबा खींचने के लिए सरकार के जिम्मेदार व्यक्तियों/अधिकारियों को जुर्माने के साथ खारिज करते है. परिस्थितियों को ध्यान में रखते इस बिना किसी पर्याप्त कारण और बिना किसी औचित्य के ऐसी तुच्छ याचिकाओं को मंजूरी देने के लिए लागत की राशि वसूल करने उनसे वसूल करने का निर्देश देते है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ तमिलनाडु सरकार की इस विशेष अनुमति याचिका में देरी के आवेदन को 1लाख रूपये के जुर्माने के साथ खारिज करने के आदेश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माने की राशि सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी कल्याण संघ के खाते में चार सप्ताह में जमा कराने के आदेश दिए है.