सुप्रीम कोर्ट को नहीं करनी चाहिए जमानत और छोटे मामलों की सुनवाई - कानून मंत्री किरेन रिजिजू
नई दिल्ली, केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट में होने वाले मुकदमों को लेकर बड़ा बयान दिया है. राज्यसभा में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र संशोधन विधेयक 2022 (New Delhi International Arbitration Centre Bill-2022) पर बहस के दौरान कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा देश की सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक अदालत को जमानत याचिकाओं और तुच्छ जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए.
कोर्ट पर बोझ है
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अगर देश की सर्वोच्च अदालत जमानत अर्जियों पर ही सुनवाई करता है, तो निश्चित रूप से यह कोर्ट पर बहुत अधिक बोझ डालेगा, जबकि सुप्रीम कोर्ट एक संवैधानिक अदालत के रूप में जाना जाता है.
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कहा कि भारत में सबसे बड़ी समस्या ये है कि जब भी कोई फैसला आता है तो वो हाईकोर्ट चला जाता है, इसके बाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता है. इस वजह से दूसरे देशों के लोग सोचते हैं कि भारत की कोर्ट में जाना तो फंसने जैसा है.
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अधिकार कम नही करना चाहते
किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि मैं ये नहीं कह सकता हूं कि संविधान में संशोधन करके कोर्ट के अधिकार को हम कम करना चाहते हैं। लेकिन ये बहुत गंभीर चिंता का विषय है। अगर किसी फोरम पर किसी मामले का फैसला आ जाता है तो फिर से उसे कोर्ट में ट्रायल करना गलत है.
आर्बिट्रेशन सेंटर का नाम
केन्द्रीय कानून मंत्री ने विधेयक से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कोई कह सकता है कि नाम क्यों बदला जा रहा है, मैं ये मानता हूं कि नाम में बहुत कुछ रखा होता है. अच्छे नाम से अच्छा काम भी होता है. हम कोई सिंगापुर नहीं हैं, यहां देश ही शहर है.
कानूनमंत्री ने कहा कि अगर हम एकजुट होकर काम करेंगे तो आने वाले दिनों में भारत दुनिया का आर्बिट्रेशन सेंटर जरूर बनेगा.