Advertisement

वी सेंथिल बालाजी की जमानत पर मद्रास उच्च न्यायालय ने दिया 'खंडित फैसला', बड़ी पीठ करेगी सुनवाई

V Senthil Balaji Bail Plea Madras High Court Delivers Split Verdict

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार तमिल नाडु मंत्री वी सेंथिल बालाजी की जमानत हेतु उनकी पत्नी ने याचिका दायर की थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में एक 'खंडित फैसला' सुनाया है, जानें सबकुछ

Written By Ananya Srivastava | Updated : July 4, 2023 4:32 PM IST

नई दिल्ली: तमिल नाडु मंत्री वी सेंथिल बालाजी (V Senthil Balaji) को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। उनकी जमानत हेतु उनकी पत्नी द्वारा दायर याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय ने 'खंडित फैसला' सुनाया है। अब इस मामले की सुनवाई एक बड़ी पीठ के समक्ष होगी।

जैसा कि हमने आपको अभी बताया, वी सेंथिल बालाजी की जमानत हेतु दायर याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) की न्यायाधीश निशा बानु (Justice Nisha Banu) और न्यायाधीश डी भरत चक्रवर्ती (Justice D Bharatha Chakravarthy) की पीठ ने 'खंडित फैसला' (Split Verdict) सुनाया है।

Advertisement

इसके बाद पीठ ने रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश के सामने मामला रखने का निर्देश दिया ताकि वह किसी अन्य पीठ के समक्ष इसे सूचीबद्ध करें।

Also Read

More News

इस मामले में जस्टिस निशा बानु का यह मानना है कि वी सेंथिल बालाजी की जमानत हेतु दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Plea) मेंटेनेबल है और इसलिए इसे अनुमति दे दी जानी चाहिए; ईडी को पुलिस हिरासत दिलाने का जिम्मा नहीं सौंपा गया है।

Advertisement

बता दें कि पीठ के दूसरे जज, जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती जस्टिस बानु के फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने यह सवाल उठाया है कि क्या वाकई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका रिमांड के आदेश के बाद मेंटेनेबल हो सकती है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा है कि मामला कुछ इस तरह बनाया गया है कि देखकर ऐसा लगे कि सेंथिल बालाजी की रिमांड अवैध हो। उनका यह मानना है कि यह याचिका खारिज की जानी चाहिए।

सेंथिल बालाजी की पत्नी ने दायर की थी याचिका

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वी सेंथिल बालाजी की पत्नी, एस मेगल (S Megala) ने यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका 14 जून को अदालत के समक्ष दायर की थी। यह याचिका तब दायर की गई थी जब उच्चतम न्यायालय ने ईडी को बालाजी के खिलाफ अपनी जांच जारी रखने का आदेश दिया था; सुप्रीम कोर्ट की यह रूलिंग 16 मई को पास की गई थी।

समाचार एजेंसी भाषा (Bhasha) के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नौकरी के बदले नकदी’ के कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में सेंथिल बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया था। ईडी ने मंत्री पर 2014-15 में राज्य के परिवहन उपक्रमों में कथित नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

बालाजी पहले अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) में थे और दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की सरकार में परिवहन मंत्री थे।

उच्चतम न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से किया अनुरोध 

ईडी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जो मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दे रही थी जिसके तहत वी सेंथिल बालाजी को इलाज के लिए निजी अस्पताल में शिफ्ट करने की अनुमति दे दी गई थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने, सॉलिसिटर जनरल के बताए जाने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सी वी गंगापुरवाला से अनुरोध किया कि वो जल्द से जल्द एक बड़ी पीठ का गठन करे जिससे जमानत वाली याचिका पर फैसला सुनाया जा सके।

उच्चतम न्यायालय ने ईडी वाली याचिका की सुनवाई की अगली तारीख 24 जुलाई तय की है।