वकीलों के व्यवहार ने संबलपुर में हाईकोर्ट की पीठ स्थापित करने का मौका गंवा दिया- सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, उड़ीसा के संबलपुर में हाईकोर्ट की स्थायी बेंच गठित करने की मांग को लेकर वकीलों के हंगामे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बेहद अहम टिप्पणी की है. जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए एस ओका की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि प्रदर्शन के दौरान वकीलों के व्यवहार से हाईकोर्ट बेंच के गठन की जो थोड़ी-बहुत उम्मीद थी, वह भी खत्म हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों प्रर्दशन के दौरान अदालत में तोड़फोड़, न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ गैर मर्यादित भाषा का प्रयोग और पुलिसकर्मियों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर नाराजगी जताई.
अवमानना का नोटिस
जस्टिस कौल की अध्यक्षता में बेंच उड़ीसा में वकीलों के हुए प्रदर्शन और तोड़फोड़ से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी.पीठ ने सुनवाई के बाद आंदोलन कर रहे सभी बार संघों के पदाधिकारियों को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है.
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सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि अब संबलपुर में बेंच के गठन की कोई उम्मीद नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने बेंच की मांग को लेकर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि "हाईकोर्ट के बेंचों के गठन की इस तरह की मांगों को स्वीकार नहीं किया जा सकता?.
सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताली वकीलों द्वारा राज्य के महाधिवक्ता और राष्ट्रीय और राज्य बार काउंसिल के सदस्यों को धमकाने के प्रयास की भी कड़ी निंदा की है.
पुलिस की भूमिका पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में उड़ीसा पुलिस को फटकार लगाई है. पीठ ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी कानून और व्यवस्था बनाए रखने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रहे है. "हमें कोई संदेह नहीं है कि यह पुलिस की घोर विफलता है.
पीठ ने कहा कि आईजीपी और डीजीपी ने हमें आश्वासन दिया है कि जो हुआ है वह फिर से नहीं होगा और वे व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेते हैं कि पूर्ण शांति बनाए रखी जाए.