पछतावा हमेशा एक हलफनामे के माध्यम से व्यक्त नहीं किया जा सकता हैं— दिल्ली हाईकोर्ट
नई दिल्ली, फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज और उड़ीसा हाईकोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस एस मुरलीधर के खिलाफ अपनी टिप्पणी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है.
हलफनामे से माफी
मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान विवेक अग्निहोत्री की और से उनके अधिवक्ता ने हलफनामा पेश करते हुए बिना शर्त माफी मांगने की जानकारी दी है.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की पीठ ने विवेक अग्निहोत्री की ओर से पेश किए गए हलफनामे को नाकाफी बताते हुए उन्हे व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होकर माफी मांगने को कहा.
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जज के खिलाफ टिप्पणी को लेकर हाईकोर्ट ने मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि "हम अग्निहोत्री को व्यक्तिगत उपस्थित रहने के लिए कह रहे हैं क्योंकि वह अवमाननाकर्ता हैं.
कोर्ट में आने से..
अदालत ने पुछा कि क्या उन्हे कोर्ट में आने से कोई कठिनाई है अगर उन्हें व्यक्तिगत रूप से खेद व्यक्त करना है? पीठ ने कहा कि पछतावा हमेशा एक हलफनामे के माध्यम से व्यक्त नहीं किया जा सकता है"
जिसके बाद उनके अधिवक्ता की ओर से सुनवाई की अगली तारीख पर अग्निहोत्री के पेश होने की बात कही. हाईकोर्ट ने अधिवक्ता की दलीलों को दर्ज करने के बाद सुनवाई को 16 मार्च, 2023 तक के लिए टाल दिया. अगली सुनवाई पर विवेक अग्निहोत्री को अपनी माफी मांगने के लिए व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहना होगा.
क्या है मामला
दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस एस मुरलीधर ने भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को राहत देते हुए जमानत दी थी. उनके इस आदेश पर निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने आरोप लगाया था कि गौतम को जमानत देकर जस्टिस एस मुरलीधर ने पक्षपात को बढ़ावा दिया है.
सोशल मीडिया पर की गयी इस टिप्पणी के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वप्रेणा प्रसंज्ञान लेते हुए सितंबर 2018 में अग्निहोत्री और अन्य अवमाननाकर्ताओं, आनंद रंगनाथन और ऑनलाइन समाचार पोर्टल स्वराज्य पत्रिका के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही करने का फैसला करते हुए अवमानना के नोटिस जारी किए गए थे.
मंगलवार को अग्निहोत्री की ओर से इस मामले में बिना शर्त माफी मांगते हुए एक हलफनामा दायर किया गया. उनकी और से अधिवक्ता ने अदालत द्वारा कि गई पक्षीय सुनवाई के आदेश को वापस लेने और कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति मांगने के लिए एक आवेदन भी किया.
अग्निहोत्री के दावे का विरोध
अग्निहोत्री की ओर से पेश किए गए हलफनामे में उनके द्वारा कहा गया कि उन्होंने खुद जज के खिलाफ अपने ट्वीट डिलीट किए हैं.
वही मामले में अदालत द्वारा नियुक्त किए गए न्यायमित्र और सीनियर एडवोकेट अरविंद निगम ने विवेक अग्निहोत्री के तर्क का विरोध किया और कहा कि उनका कथन गलत हो सकता है क्योंकि ट्विटर के हलफनामे के अनुसार ये ट्वीट उनके हटाया गया है ना कि स्वयं अग्निहोत्री द्वारा जैसा कि उनके हलफनामे में दावा किया गया है.
16 मार्च को सुनवाई
सुनवाई के दौरान अदालत के रूख को देखते हुए विवेक अग्निहोत्री के अधिवक्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि उनके मुव्वकील अगली सुनवाई पर अदालत में मौजूद रहेंगे. जिसके बाद अदालत ने मामले को अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया.
16 मार्च, 2023 को अगली सुनवाई पर विवेक अग्निहोत्री को माफी मांगने के लिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहना होगा.