केरल उच्च न्यायालय ने रद्द की ये याचिका, कहा- 'बीमारी नहीं है हेलमेट न लगाने का बहाना'
नई दिल्ली: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) में एक याचिका दायर की गई थी जो रोड सेफ्टी नियमों पर थी। याचिकाकर्ताओं की बात को न मानते हुए अदालत ने उनकी याचिका को रद्द किया और यह स्पष्ट किया कि दो पहियों के वाहनचालकों को किसी भी हाल में हेलमेट न लगाने की आजादी नहीं मिलेगी, बीमारी भी बहाने की तरह इस्तेमाल नहीं की जा सकती है।
मामला क्या था और अदालत ने इसपर क्या कहा है, आइए जानते हैं.
HC के समक्ष दायर हुई याचिका
जैसा कि हमने आपको अभी बताया, केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया था कि वो केरल स्टेट पुलिस चीफ और परिवहन आयुक्त (transport commissioner) को यह निर्देश दें कि वो उन्हें हेलमेट न लगाने पर दंडित न करें।
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याचिकाकर्ताओं का यह कहना है कि क्योंकि उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था और उन्हें सिर पर भारी चीजें रखने से मना किया गया है, उन्होंने हेलमेट नहीं लगाए थे और यह हाल ही में इंस्टॉल किये गए एआई सर्वेलें, कैमरे में कैद हो गया। याचिकाकर्तों ने छूट (exemption) की मांग की है।
'बीमारी नहीं है हेलमेट न लगाने का बहाना'
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले को सुनने के बाद केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी वी कुन्हीकृष्णन (Justice PV Kunhikrishnan) ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज करते हुए याचिका को रद्द कर दिया है।
जस्टिस कुन्हीकृष्णन का यह कहना है कि देश में जो भी नागरिक एक दो पहिये वाली वाहन पर चल रहा है, उसे हेलमेट लगाना ही होगा; इससे किसी को कोई बचाव नहीं मिल सकता है। अदालत ने कहा है कि यदि याचिकाकर्ताओं को इलाज के चलते हेलमेट लगाना मना तो उन्हें दो पहिये वाले वाहन से चलना ही नहीं चाहिए था; उनको सार्वजनिक परिवहन से ट्रैवल करना चाहिए था।
अदालत ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129 (Section 129 of The Motor Vehicles Act, 1988) और केरल मोटर वेहिकल्स रूल्स, 1989 के नियम 347 के तहत अदालत ने यह कहा है कि दो पहिये के वाहन को चलाने वाला और पीछे बैठने वाला, दोनों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है, यह नागरिकों की जीवन की सुरक्षा का सवाल है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता इससे किसी भी हाल में बच नहीं सकते हैं।