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यदि कोई आपको जान से मारने की धमकी देता है तो क्या करें? जानिये यहां

मामूली विवाद में किसी की हत्या करने की धमकी देना या चोट पहुंचाने की धमकी देना कानून रुप से एक अपराध माना जाता है. जिसके लिए दोषी को कठोर सजा हो सकती है.

Written By My Lord Team | Published : June 22, 2023 12:55 PM IST

नई दिल्ली: हमारे देश के कानून में किसी को जान से मारने की धमकी देना एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. अक्सर लोग ऐसी धमकी मिलने पर डर जाते हैं और उन्हे समझ नहीं आता है कि क्या किया जाए. आईए जानते हैं कि इन हालातों में आपको क्या कानूनी कदम उठाना चाहिए, और क्या प्रयास करना चाहिए जिससे आप गुनहगार को सजा दिला सकें.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि किसी को जान से मारने की धमकी देना भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC) की धारा 506 के तहत एक अपराध माना गया है. साथ ही ऐसे कृत्य के लिए कठोर सजा का भी प्रावधान किया गया है.

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धारा 506 के तहत सजा

आईपीसी की धारा 506 के तहत अगर कोई किसी को जान से मारने की धमकी देता है या चोट पहुंचाने की धमकी देता है तो उसे अपराध माना जाएगा. जिस व्यक्ति को धमकी दी गई है अगर वो पुलिस में कंप्लेंट करता है तो धमकी देने वाले को सात साल तक की जेल की सजा से दंडित किया जा सकता है.

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धमकी मिलने पर क्या करें

  • अगर कोई आपको आपकी हत्या करने की धमकी दे रहा है तो सबसे पहले अपने पास के पुलिस स्टेशन में जाएं और अपनी शिकायत दर्ज कराएं.
  • अक्सर ऐसा देखा गया है कि धमकी देने वाला अपनी पहचान छुपा कर धमकी देता है जिसके कारण पीड़ित को नहीं पता होता है कि धमकी देने वाला व्यक्ति कौन हैं. इन हालातों में पुलिस अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज करेगी. वहीं अगर पीड़ित को पता हो कि धमकी कौन दे रहा है तो पुलिस उस व्यक्ति के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करेगी.
  •  बेहतर हो कि आपके पास कोई सबूत हो, जैसे कोई ऑडियो, वीडियो या कोई तस्वीर उसे आप थाने में सबूत के तौर पर पेश कर सकते हैं इससे आपका केस और मजबूत हो जाएगा. साथ ही आरोपी को पकड़ने में पुलिस की मदद हो जाएगी.
  • इसमें पुलिस के द्वारा एफआईआर की पूरी प्रक्रिया गंभीरता के साथ पूरी की जाती है. जिसकी कॉपी मजिस्ट्रेट के पास भेजी जाती है.
  • फिर धमकी देने वाले व्यक्ति के ऊपर मुकदमा चलाया जाता है.
  • दोष साबित होने पर इस अपराध के लिए धमकी देने वाले को सात साल तक की जेल की सजा से दंडित किया जा सकता है.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह एक जमानती और गैर संज्ञेय अपराध है, इस तरह के मामलों की सुनवाई मजिस्ट्रेट के द्वारा किया जाता है. इन मामलों नें दोनों पक्षों बीच समझौता भी किया जा सकता है.

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