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Love Marriage के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया क्या है? जानिये

अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करना, प्रत्येक नागरिक का एक मौलिक अधिकार है और किसी को भी उनके मूल अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका मतलब भारतीय संविधान का उल्लंघन करना होगा.

Written By My Lord Team | Published : February 15, 2023 12:36 PM IST

नई दिल्ली: भारत के सभी जाति और धर्म के वर्गों में विवाह की प्रथा का बहुत महत्व है. अलग-अलग धर्मों के लिए विवाह का मतलब भी अलग है, जैसे हिंदुओं के लिए यह एक संस्कार है जबकि मुसलमानों के अनुसार यह एक अनुबंध है. इसीलिए विवाह को प्रत्येक धर्म के विधान द्वारा विनियमित किया जाता है. आम तौर पर भारत में, विवाह व्यक्तिगत कानूनों जैसे हिंदू विवाह अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law), इत्यादि के अनुसार पंजीकृत किया जाता है.

यह सब विधान अंतरजातीय या अंतर-धार्मिक विवाह को मान्यता नहीं देते हैं, लेकिन भारतीय कानून, व्यक्तियों के बीच प्रेम के मूल्य को पहचानते हैं, इसलिए, उन व्यक्तियों के लिए विशेष विधान बनाए गए हैं, जिसके तहत अंतरजातीय या अंतर-धार्मिक विवाह को मान्यता दी जाती है और उनको पंजीकृत किया जाता है.

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प्रेम विवाह मुख्य रूप से अंतरजातीय या अंतर-धार्मिक होते हैं और इन्हें विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954) के तहत विशेष रूप से पंजीकृत किया जाता है.

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अधिनियम का उद्देश्य

· कुछ विशेष तरह के मामलों में विवाह को मान्यता देना और पंजीकृत करना.

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· इस तरह के विवाहों से उत्पन्न होने वाले अधिकारों और कर्तव्यों की व्याख्या करना.

· इस तरह के मामलों में तलाक या अन्य किसी कार्यवाही के संबंध में प्रावधान बनाना.

विवाह के पंजीकरण की शर्तें

विवाह को पंजीकृत करवाने के लिए निम्नलिखित शर्तों का पूरा होना अनिवार्य है: -

1. विवाह होने के दौरान, दोनों में से कोई भी पक्ष पहले किसी और से विवाहित नहीं होना चाहिए. विवाह दोनों के लिए एक पत्नीक (Monogamous) होना चाहिए.

2. लड़कियों के लिए उम्र 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल होना अनिवार्य.

3. एक दूसरे से विवाह करने वाले पक्ष विकृत चित्त (Unsound Mind) के नहीं होने चाहिए. दोनों पक्षों को ऐसी मानसिक स्थिति में होना चाहिए कि वह भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 की धारा 14 के तहत अपनी स्वतंत्र सहमति दे सकें.

4. साथ ही, दोनों पक्षों को निषिद्ध संबंधों (Prohibited Relationships) की श्रेणी में नहीं आना चाहिए.

विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया क्या हैं?

विवाह के पक्षकारों को विवाह शपथ पत्र के साथ संबंधित विवाह अधिकारी को दोनों के हस्ताक्षर वाला एक आवेदन https://services.india.gov.in/service जमा करना होगा. अधिकारी तब निर्धारित तरीके से आवेदन की सार्वजनिक सूचना देने के लिए आगे बढ़ेगा. आपत्ति के लिए तीस दिनों की अवधि की अनुमति देने के बाद, विवाह अधिकारी, संतुष्ट होने पर, विवाह प्रमाण पत्र पुस्तक में विवाह का एक प्रमाण पत्र दर्ज करेगा, जिस पर विवाह के पक्षकारों और तीन गवाहों के हस्ताक्षर होंगे.

विवाह प्रमाणपत्र के जारी होने की तारीख से, विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अनुष्ठापित माना जाएगा. यदि विवाह अधिकारी पंजीकरण से इंकार करता है, तो कोई भी पक्ष 30 दिनों के भीतर उस जिले के जिला न्यायालय में अपील कर सकता है जिसमें विवाह अधिकारी का कार्यालय स्थित है.

संक्षेप में कहें तो अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करना, प्रत्येक नागरिक का एक मौलिक अधिकार है और किसी को भी उनके मूल अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका मतलब भारतीय संविधान का उल्लंघन करना होगा.