क्या है POCSO ACT के तहत मामलों को दर्ज करने की प्रक्रिया?
नई दिल्ली: POCSO ACT की धारा 21 के तहत नाबालिग बच्चों के खिलाफ यौन अपराध की आशंका या जानकारी होने के बावजूद पुलिस को सूचित ना करना एक गंभीर अपराध है . CrPC, 1973 (1974 का 2) के अनुसार कोई भी व्यक्ति (बच्चे सहित), जिसे यह आशंका है कि POCSO ACT धारा 3, 5, 7, 9 और धारा 11 के तहत अपराध होने की संभावना है या उसे पता है कि ऐसा अपराध किया गया है, वह स्थानीय पुलिस को जानकारी देने के लिए बाध्य है. कानून में रिपोर्ट न करने के लिए दंड का प्रावधान भी शामिल है.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने और शिकायत दर्ज करने के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी दिया है. पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराधियों के खिलाफ बाल यौन शोषण की रिपोर्ट करने के लिए पॉक्सो (POCSO) ई-बॉक्स एक ऑनलाइन शिकायत बॉक्स है. इससे बच्चों को ऐसे अपराधों की शिकायत सीधे आयोग से करने में मदद मिलती है.
मामला दर्ज करने की प्रक्रिया:
POCSO ACT की धारा 19 के अनुसार, बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराध के मामले को दर्ज करने की प्रक्रिया कुछ इस तरह निर्धारित की गई है-
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1. कोई भी व्यक्ति (बच्चे सहित), जिसे यह आशंका है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध होने की संभावना है या अपराध किया गया है, उसे स्थानीय पुलिस या Special Juvenile Police Unit को यह जानकारी प्रदान करना अनिवार्य है.
2. उप-धारा(1) के तहत दी गई प्रत्येक रिपोर्ट- एक एंट्री संख्या में अंकित होगा और लिखित रूप में पुलिस यूनिट द्वारा रखी जाने वाली एक पुस्तक में दर्ज किया जाएगा और वह रिपोर्ट मुख़बिर को पढ़ाया जाएगा.
3. जहां एक बच्चे द्वारा उप-धारा (1) के तहत रिपोर्ट दी जाती है, उसे उपधारा (2) के तहत सरल भाषा में दर्ज किया जाएगा ताकि बच्चा रिकॉर्ड की जा रही रिपोर्ट को समझ सके.
4. यदि रिपोर्ट उस भाषा में दर्ज की जा रही है जिसे बच्चा समझ नहीं पा रहा है तो बच्चे को एक अनुवादक या विशेष-शिक्षक प्रदान किया जाएगा जिसके पास योग्यता और अनुभव है.
5. यदि Special Juvenile Police Unit या स्थानीय पुलिस संतुष्ट है कि जिस बच्चे के खिलाफ अपराध किया गया है, उसे देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है, तो वह लिखित रूप में कारणों को दर्ज करने के बाद उसकी देखभाल और संरक्षण देने की तत्काल व्यवस्था करेगी और रिपोर्ट के चौबीस घंटे के भीतर आश्रय गृह या निकटतम अस्पताल में बच्चे को भर्ती करके देखभाल और सुरक्षा निर्धारित किया जाना चाहिए.
6. स्थानीय पुलिस या Special Juvenile Police Unit ,अनावश्यक देरी के बिना, चौबीस घंटे के भीतर, मामले की रिपोर्ट बाल कल्याण समिति और विशेष न्यायालय को दे और देखभाल और संरक्षण के लिए बच्चे की आवश्यकता और इस संबंध में उठाए गए कदम सहित हर पहलू की जानकारी दी जानी चाहिए.
7. उप-धारा(1) के उद्देश्य के लिए नेकनीयती से सूचना देने के लिए कोई भी व्यक्ति, चाहे वह नागरिक हो या आपराधिक, वो किसी भी दायित्व का वहन नहीं करेगा.
बच्चे का बयान दर्ज करने की प्रक्रिया
POCSO Act की धारा 24 में जिस बच्चे के साथ अपराध हुआ है, उसका बयान दर्ज करने का निर्देश है.
1. बच्चे का बयान बच्चे के घर पर या ऐसे जगह पर दर्ज हो जहां वह आमतौर पर रहता/ रहती है और जहां तक संभव हो, एक महिला पुलिस अधिकारी जो sub Inspector के पद से नीचे की न हो, वह बच्चे के बयान को दर्ज करें.
2. बच्चे का बयान दर्ज करते समय पुलिस अधिकारी वर्दी में नहीं होंगे.
3. छान-बीन करने वाला पुलिस अधिकारी बालक/बालिका से पूछताछ करते समय यह सुनिश्चित करेगा कि वह किसी भी समय आरोपी के संपर्क में न आए.
4. किसी भी बच्चे को किसी भी कारण से रात के समय थाने में नहीं रखा जायेगा.
5. पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चे की पहचान को सार्वजनिक मीडिया से सुरक्षित रखा जाए, जब तक विशेष न्यायालय द्वारा अन्यथा निर्देश न दिया जाए.
स्पेशल कोर्ट
नाबालिग बच्चों के साथ किसी तरह के sexual बर्ताव के मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है. शीघ्र सुनवाई करने के उद्देश्य से, राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्रत्येक जिले में एक सत्र न्यायालय को एक विशेष न्यायालय के तहत अपराधों की सुनवाई करने के लिए नामित करती है.