क्या है Consumer Court, इसके तहत कैसे करें अपनी शिकायत दर्ज
नई दिल्ली : दुनिया भर के लोग हर दिन कोई ना कोई सामान खरीदते हैं. चाहे वो सामान बाजार जाकर खरीदें या फिर Internet के जरिये. जैसे ही हम सामान खरीदते हैं उस दुकानदार के हम ग्राहक (consumer) बन जाते हैं. कई बार ऐसा होता है कि कुछ दुकानदार ग्राहकों को अपनी ठगी का शिकार बनाते हैं. फिर ग्राहक परेशान होते हैं कि अब क्या करें, जानकारी के लिए बता दें कि अगर कभी आप इस तरह की ठगी का शिकार होते हैं तो Consumer Forum में शिकायत कर सकते हैं. आईए जानते हैं क्या है Consumer Forum और कैसे कर सकते हैं अपनी शिकायत दर्ज.
Consumer Forum को उपभोक्ता कोर्ट भी कहा जाता है जो उपभोक्ता के विवादों और शिकायतों के मामलों को देखता है, परखता है और फिर उपभोक्ताओं को इंसाफ दिलाता है. उपभोक्ता मामले केन्द्र और राज्य सरकारों के अधीन आने वाले मामले है. कंज्यूमर कोर्ट विक्रेता दुकानदार, कंपनी और उपभोक्ताओं के बीच सामान और वस्तुओं के व्यवसाय में विश्वास बनाने का कार्य करता है.
कहां करें शिकायत
अगर किसी उपभोक्ता के साथ किसी तरह की धोखाधड़ी हुई है तो इंसाफ के लिए वो कई तरह से अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है, एक है कोर्ट मे जाकर, दूसरा Online website के माध्यम से. अगर आपके पास इन दोनों ही तरह से शिकायत करने का समय नहीं है तो आप फोन करके भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
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देश के प्रत्येक राज्य का अलग -अलग कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर होता है या फिर नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 या 14404 पर कॉल करके किसी भी राज्य का व्यक्ति संपर्क कर सकता है. इसके साथ ही हेल्पलाईन नंबर 8130009809 पर SMS करके शिकायत की जा सकती है.
Seller अगर Consumer को किसी भी तरह से परेशान करता है या उसका शोषण करता है तो consumer उस seller के खिलाफ consumer forum में case दर्ज कर सकता है और case दर्ज करने के लिए किसी वकील की जरूरत नहीं पड़ती कंज्यूमर खुद ही अपना मुद्दा कोर्ट के सामने रख सकता है.
उपभोक्ता अदालत के तीन स्तर
Consumer मामलों की शिकायत के लिए देश में तीन तरह के consumer court बनी है, जहां 1 रूपए से लेकर एक करोड़ रूपए तक के मामलों की सुनवाई होती है. Consumer के ख़रीदे हुए सामान में यदि कोई खराबी है या फिर उस चीज का इस्तेमाल करने से उसे हानी हो रही है तो consumer उस seller के पास जाकर सामान वापस कर अपने पैसे वापस पाने की मांग कर सकता है.
शिकायत किस कोर्ट में की जाए यह खरीदे गए सामान के मूल्य पर निर्भर करता है.
जिला उपभोक्ता अदालत/फोरम: उपभोक्ता द्वारा खरीदी वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख रूपए से कम है तो ऐसे मामलों में उपभोक्ता राहत के लिए District Consumer Forum या जिला उपभोक्ता अदालत में इसकी शिकायत कर सकते हैं.
राज्य उपभोक्ता आयोग/अदालत: जब उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख रुपए से अधिक हो, लेकिन एक करोड़ रुपये से कम हो. तो ऐसी स्थिती में उपभोक्ता अपने मामले को राज्य उपभोक्ता आयोग में दर्ज करा सकते है.
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग/अदालत: उपभोक्ता द्वारा खरीद गई सामग्री, वस्तु या सेवा की कीमत 1 करोड़ से अधिक होने और विवाद होने की स्थिती में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में मामला दर्ज किया जाता है.
शिकायत दर्ज करने की शर्तें:
जिसके द्वारा सामान खरीदा गया है उसके द्वारा ही शिकायत दर्ज की जा सकती है. उपभोक्ता के अलावा कोई और शिकायत दर्ज नहीं कर सकता है, लेकिन अगर उपभोक्ता की मृत्यु हो चुकी है, तो उसके परिवार वाले या जानकार केस कर सकते हैं.
किसी भी सामग्री या सर्विस की खरीद से दो साल की कानूनी अवधि के अंदर ही ये शिकायत दर्ज करनी होती है.
किसी व्यक्ति के अलावा, कोई कंपनी या एसोसिएशन जो रजिस्टर्ड है, या कोई सरकार भी किसी ब्रैंड या ऑनलाइन स्टोर के खिलाफ ये शिकायत दर्ज कर सकता है.
शिकायत दर्ज करने की आवश्यक शर्त है कि जिस सामग्री या सेवा की खरीद की गई है. उससे जुड़े ज़रूरी कागज़ात, जैसे कि सामान का बिल, डिलीवरी की रसीद, प्रॉपर्टी के केस में रजिस्ट्री के कागजात, इत्यादि ज़रूरी कागज़, सबूत (proof) के तौर पर होना आवश्यक है.
कब दर्ज करा सकते हैं शिकायत
एक उपभोक्ता जब खरीद की गई वस्तु या सेवा के बदले उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं करता है, ऐसी स्थिती में वह शिकायत दर्ज करा सकत है.
खासतौर से कंपनी या सर्विस प्रोवाइडर का गलत व्यवहार या व्यापार का तरीका अपनाना, गलत या खराब सामान बेचना, सेवाओं में खामियां, सामान के पैकेट पर लिखे दाम से ज़्यादा में बेचना या दो पार्टियों के बीच में लिखित तौर पर जिस भी राशि में बात तय हुई है, उससे ज़्यादा पैसा मांगना, कोई ऐसा प्रोडक्ट बेचना, जो किसी की जान के लिए खतरा या हानिकारक हो और बेची गई सामग्री या सेवा का बेकार निकल जाना.
इन सभी कारणों के लिए आप उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
किसके खिलाफ दर्ज करें शिकायत
उपभोक्ता अदालत में सामग्री, वस्तु या सेवा का विक्रय करने वाले दुकानदार, मैन्युफैक्चरर्स, डीलर, सर्विस प्रोवाइडर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
कई बार सेवा और वस्तु सरकारी संस्थानो द्वारा भी कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है. ऐसी स्थिती में भी एक उपभोक्ता के रूप में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.
शिकायत पर कितना शुल्क
उपभोक्ता अदालत में एक उपभोक्ता के रूप में शिकायत दर्ज कराने के लिए कुछ शुल्क अदा करना होता है. ये शुल्क उपभोक्ता द्वारा खरीदी की गई वस्तु की कीमत के अनुसार तय की गई है.
एक लाख रुपये तक के मामले के लिए 100 रुपये शुल्क निर्धारित है. एक लाख से 5 लाख रुपये तक के मामले के लिए 200 रुपये, 10 लाख रुपये तक के लिए 400 रुपये, 20 लाख रुपये तक के मामलों के लिए 500 रूपए शुल्क, 50 लाख रुपये तक के मामलों के लिए 2000 रुपये और एक करोड़ रुपये तक के मामले के लिए 4000 रुपये तक का शुल्क जमा कराना होता है.
शिकायत से पूर्व नोटिस
उपभोक्ता अदालत में शिकायत करने से पूर्व विपक्षी पक्षकार को एक फॉर्मल नोटिस भेजना चाहिए. कई बार विपक्षी पक्षकार लीगल नोटिस पर समझौता कर देता है या फिर सामग्री बदलना मंजूर कर लेता है.
नोटिस के बाद अगर विपक्षी उत्पाद या सेवा को ठीक करने के लिए तैयार हो ताजा है तो मामला यहीं पर खत्म हो जाता है.
अगर नोटिस देने के बाद भी विपक्षी अपनी गलती को नहीं सुधारता तो उपभोक्ता कोर्ट की ओर रुख कर सकता है.
शिकायत करने के चरण
प्रथम चरण: सर्वप्रथम उपभोक्ता को खरीद की गई वस्तु या सेवा के निर्माता या सप्लायर के खिलाफ दायर किए जाने वाली शिकायत का क्षेत्राधिकार जानना होगा. वस्तु या सेवा का मूल्य, निर्माता या सेवा प्रदाता के कार्यालय का पता और न्यायिक क्षेत्र की जानकारी करनी होती है. जहां मामले की शिकायत की जानी है.
दूसरा चरण: वस्तु की कीमत और क्षेत्र के अनुसार उपभोक्ता अदालत का चयन करते हुए निर्धारित शुल्क का भुगतान करना.
तीसरा चरण: वस्तु या सेवा से जुड़ी अपनी शिकायत का ड्राफ्ट तैयार करते हुए खुद को हुए मानसिक और आर्थिक नुकसान की जानकारी देनी है. साथ ही आप नुकसान के लिए मुआवजें तौर क्या चाहते है इसकी भी जानकारी देनी होगी.
चौथा चरण: दायर की गई शिकायत में उपभोक्ता अदालत के क्षेत्राधिकार की जानकारी देनी होगी, कि वह अदालत आपके मामले को क्यों सुन सकती है. शिकायत में बताएं कि मामला इस मंच या फोरम के क्षेत्राधिकार में कैसे आता है.
पांचवा चरण: ड्राफ्ट तैयार होने और शिकायत करने के साथ ही उस पर अपने हस्ताक्षर करना आवश्यक है.
छठा चरण: शिकायत के साथ दिए गए फार्मेट में अपना नाम, पता, शिकायत का विषय, विपक्षी पक्ष या पार्टियों के नाम, उत्पाद का विवरण, क्षतिपूर्ति राशि का दावा इत्यादि उल्लेख करना होगा.
सातवां चरण: अपनी शिकायत के साथ साक्ष्य के रूप में खरीदे गए सामान के रसीद की कॉपी, warranty और guaranty papers, notice की copy सहित अन्य दस्तावेज जमा कराना आवश्यक है.
Online शिकायत की सुविधा
तीन साल पहले देश में नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019 लागू किया गया था. इसमें उपभोक्ताओं को कई नए अधिकार दिए गए हैं. इन नए अधिकारों में शामिल है ऑनलाइन शिकायत करने की सुविधा.
पहले कंज्यूमर कोर्ट में ऑनलाइन शिकायत तो दर्ज होती थीं, लेकिन वह केवल कंज्यूमर कोर्ट की वेबसाइट पर जाकर एक अलग से बॉक्स में होता था. अब उपभोक्ताओं को सुविधा देने के लिए ई-दाखिल पोर्टल आ गया है.
दो वर्ष पूर्व शुरू किए गए इस पोर्टल को लेकर देश की जनता के बीच जागरूकता लगातार बढ़ रही है. इस पोर्टल पर उपभोक्ता अदालत तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आप National Consumer Helpline के साथ साथ वेबसाइट https://consumerhelpline.gov.in/ के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है.
Online शिकायत के चरण
प्रथम चरण: सबसे पहले आपको इस वेबसाइट पर अपना अकाउंट बनाना होगा.अकाउंट बनाने के लिए आप अपने मोबाइल या ईमेल का प्रयोग कर सकते है.
दूसरा चरण: पहली बार अकाउंट बना रहे हैं, तो साइन अप करना होगा. साइन अप पर क्लिक करने पर आपके सामने कंस्यूमर रजिस्ट्रेशन फॉर्म आएगा, उसे भरें और फिर आगे बढ़ें.
तीसरा चरण: जिसके बाद आपको समस्याओं के प्रकार दिए जाएंगे. आपकी समस्या जिस तरह की है उस विकल्प को चुनकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
चौथा चरण में: आपके समक्ष आए विकल्पों में Consumer Grievance, Misleading Advertisement और A complaint in Consumer Commission on E-DAAKHIL शामिल है.
Consumer Grievance: इसके तहत आप उन सेवा या प्रोडक्ट के लिए शिकायत कर सकते हैं जिसे आपने पैसे देकर खरीदे हैं और आप उससे से संतुष्ट नहीं है, जैसे -मोबाइल फोन, हवाई सेवा या ट्रेन की टिकट, या प्रॉपर्टी खरीदना.
Misleading Advertisement: इसमें आप टीवी, रेडियो, रोड पर लगे बैनर, ऑनलाईन सोशल मीडिया या किसी आर्टिकल के बीच दिख रहे उन विज्ञापन के खिलाफ कंप्लेन कर सकते हैं जो लोगों को गलत संदेश दे रहा है.
E-DAAKHIL: इसके अंतर्गत कोई भी ग्राहक ऑनलाइन या ऑफलाइन अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है और ये उसके बदले में डिजिटल पेमेंट करने की सुविधा देता है.
National Consumer Helpline की ऐप
अगर आप चाहें तो NCH की ऐप पर भी जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. इसे आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. उसके बाद आपको लॉग-इन या साइन- अप करना होगा . उसके बाद आपको यहां भी वही विकल्प तीन मिलेंगे जो आपको साइट पर जाकर मिलते थे. इसके बाद सारी जानकारी भरने के बाद सब्मिट कर दें. आप चाहें तो अपनी शिकायत ट्रैक भी कर सकते हैं.
भाषाओं के लिए अलग से ऑप्शन दिया गया है. ई-दाखिल पोर्टल पर शिकायतकर्ता को दो भाषा चुनने का विकल्प अलग से दिया गया है, हिंदी और अंग्रेजी. आपको अगर हिंदी में शिकायत करनी है तो हिंदी में कर सकते हैं अगर अंग्रेजी में करनी है तो अंग्रेजी में कर सकते हैं.
UMANG ऐप
UMANG ऐप को डाउनलोड करें अपना अकाउंट बनाए या लॉग- इन करें. नीचे बीच में All services का विकल्प चुने और इसमें National Consumer Helpline के विकल्प पर क्लिक करें और अपनी शिकायत दर्ज करें. यहां पर आपको केवल एक ही ऑप्शन मिलेंगे Consumer Grievance का.