अपनी जमीन का कैसे कराये Measurement, क्या है पूरी प्रक्रिया Revenue Code के तहत -जानिये
नई दिल्ली: कोई भी व्यक्ति जिसके पास भूमिधर अधिकार है मतलब वह उसके पास जमीन के कागज है। अगर उस व्यक्ति को यह लगे कि उसकी भूमि खतौनी (ऐसी बही जिसमें पटवारी काश्तकार के खेत-संबंधी सभी विवरण रखता है ) में दर्ज क्षेत्रफल से कम है अथवा उसकी भूमि की सीमा वर्तमान मे चकबन्दी नक्शे से अलग है तो वह व्यक्ति राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 के तहत उपजिलाधिकारी ( Sub Divisional Magistrate ) के न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकता है। आइये जानते कैसे कोई अपनी ज़मीन कि पैमाइश करा करता है ।
पैमाइश कराने की क्या है प्रक्रिया
आवेदक को राजस्व संहिता कि धारा 24 के अंतर्गत आवेदन पेश करने के लिए इन विवरणों को देना होगा
इसमें पक्षकारों का नाम देना होता है , पिता का नाम और पता, ग्राम का नाम जिसमे वह स्थित है, गाटा संख्या और उसकी सीमायें । विवाद का संक्षिप्त विवरण लिखना होता है । नक्शे की एक प्रमाणित प्रति खसरे (हिसाब-किताब का चिट्ठा) की प्रमाणित प्रति खतौनी की प्रमाणित प्रति लगानी होगी ।
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पैमाइश के लिए ऑनलाइन आवेदन व 1 हजार शुल्क का भुगतान नेट बैंकिग/ यूपीआई के माध्यम से करना होगा. भुगतान होते ही ऑनलाइन आवेदन एसडीएम न्यायालय में दर्ज हो जाएगा. एसडीएस वाद को तहसीलदार को और तहसीलदार राजस्व निरीक्षक ( Revenue inspector) को भेजेगा. राजस्व निरीक्षक पैमाइश की तिथि को तय करेगा तथा नोटिस जारी करेगा
खेत की पैमाइश कराने के लिए आपको ये करना होगा
सभी दस्तावेज के साथ आवेदक को प्रत्येक गाटा संख्या के लिए ₹1000 ट्रेजरी चालान (Treasury challan) के माध्यम से जमा करने होंगे। यदि गाटे दो या उससे अधिक है और वे आपस मे सटे हुए हो तो केवल ₹1000 ही जमा करना होगा। परंतु यदि उन गाटो की मेड़ आपस मे सटी ना हो तो प्रति गाटा ₹1000 जमा करने पड़ेगे।
खेत की पैमाइश कैसे कराएं
जब आपका प्रार्थना पत्र संबंधित अधिकारी को मिलेगा फिर वो यह जांच करते है कि प्रार्थना पत्र सही है या नहीं। सही पाए जाने पर उपजिलाधिकारी (Sub Divisional Magistrate) उसी दिन या उसके अगले दिन एक आदेश पारित करेंगे और राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) अथवा अन्य राजस्व अधिकारी को सीमांकन या पैमाइश के लिये निर्देश देंगे।
कानूनगो के द्वारा सीमांकन का कार्य करने के बाद और सभी संबंधित पक्षो को नोटिस ( खातेदार को) दिया जायेगा यदि वह मौजूद नही है तो परिवार के किसी वयस्क सदस्य को दी जाएगी। नोटिस भूमि प्रबंधक समिति के अध्यक्ष यानि ग्राम प्रधान को भी दी जाएगी। पैमाइश या सीमांकन का कार्य एक माह में पूर्ण कर लिया जाएगा।
सीमांकन के समय पर कानूनगो के द्वारा एक स्थल ज्ञापन (spot memo) तैयार किया जाएगा। जिसमें सभी प्रभावित पक्षों व ग्राम प्रधान के अतिरिक्त किन्ही दो गवाहों के हस्ताक्षर होंगे। यदि कोई पक्ष हस्ताक्षर करने से मना करता है तो यह इसमे लिख दिया जायेगा।
सीमांकन प्रक्रिया के पंद्रह दिन के भीतर कानूनगो अपनी रिपोर्ट (फील्ड बुक सहित) स्पॉट मेमो के साथ उपजिलाधिकारी SDM को भेजेंगे।
रिपोर्ट मिलने के बाद उपजिलाधिकारी एक सप्ताह के भीतर सभी प्रभावित पक्षों को नोटिस जारी करके पंद्रह दिन के भीतर आपत्ति दाखिल करने का मौका देंगे। अगर उपजिलाधिकारी SDM कोई आपत्ति मिलती है तो वो उसका निपटारा करेंगे । अगर कोई आपत्ति नहीं आती है तो किसी नियत दिनांक पर उपजिलाधिकारी सभी पक्षों को सुनने के बाद समुचित आदेश देंगे।