कैसे और कब प्राप्त हो सकती है पुलिस थाने से जमानत- जानिए प्रावधान
नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के कारण पुलिस द्वारा कारागार में बंद किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में जेल से छूटने के लिए जमानत के प्रावधान को बनाया गया है. जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के कारण पुलिस द्वारा जेल में बंद किया जाता है या उसे पूर्वानुमान होता है कि उसे गिरफ्तार किया जा सकता है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को जेल से छूटने के लिए न्यायालय में जो संपत्ति जमा करता है या फिर देने की शपथ लेता है, उसे कानूनी भाषा में जमानत कहते हैं.
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि प्रत्येक अपराध के लिए अपराधी को जमानत दी ही जाएगी. इसलिए अपराधों को जमानती और गैर-जमानती अपराधों में बांटा गया है. जमानती अपराध, वह अपराध होते हैं जिसमें व्यक्ति एक अधिकार के रूप में जमानत की मांग कर सकता है.
वहीं, गैर-जमानती अपराध, वह अपराध होते हैं जिसमें व्यक्ति अधिकार के रूप में जमानत की मांग नहीं कर सकता और न्यायालय अपने विवेक के अनुसार तय करेगा कि आरोपी को जमानत दी जानी चाहिए या नहीं.
Also Read
- पुलिस ने की बदलसलूकी, मेरी शिकायत भी नहीं लिखी... महिला वकील की याचिका पर Supreme Court ने हरियाणा सरकार को जारी किया नोटिस
- पत्नी और तीन बेटियों की हत्या के दोषी मुस्लिम शख्स को राहत, जानें क्यों Supreme Court ने फांसी की सजा बहाल करने से किया इंकार
- क्या GST और कस्टम्स अधिनियम में गिरफ्तार व्यक्ति को BNSS की तरह ही राहत मिलेगी? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
पुलिस थाने से जमानत
जमानती अपराधों में, आरोपी द्वारा जमानत सीधा पुलिस थाने से भी पाई जाती है. आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 436 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को जमानती अपराध के लिए बिना वारंट गिरफ्तार किया जाता है या अदालत के समक्ष पेश किया जाता है और वह व्यक्ति जमानत देने को तैयार है, तो ऐसे आरोपी को रिहा करना अनिवार्य है. इस प्रावधान के अंतर्गत जमानतीय मामलों में जमानत की मांग अधिकार के रूप में की जा सकती है.
इसका मतलब यह है कि जब किसी व्यक्ति को जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है, तो उस व्यक्ति को जमानत के लिए केवल एक महत्वपूर्ण काम करना है.
उस व्यक्ति को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की दूसरी अनुसूची (Schedule II) का फॉर्म 45 भरना है और पुलिस के समक्ष उचित राशि का जमानत बांड (Bail Bond) प्रस्तुत करना है. जिसके बाद उसे पुलिस स्टेशन से ही तुरंत जमानत दी जाएगी और रिहा कर दिया जाएगा.
जमानत का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना होता है. भारतीय न्यायालयों ने भी कई बार नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उन्हें मनमानी गिरफ्तारी से बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया है. धारा 436 के अंतर्गत पुलिस द्वारा दी जाने वाली जमानत भी इस दिशा में एक अहम कदम है.