सेक्सटॉर्शन क्या है? किन धाराओं के तहत होगी शिकायत दर्ज
नई दिल्ली: देश और दुनिया में पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने बहुत लोकप्रियता हासिल की है. समाज के लिए इसके फायदे तो बेशुमार हैं, पर नुकसान भी हैं. जहां व्हाट्सएप, फेसबुक, और इंस्टाग्राम, हमें लोगों से अधिक जुड़ाव महसूस कराते हैं, वहीं इन प्लेटफार्म का इस्तेमाल असामाजिक तत्वों द्वारा यूजर को ब्लैकमेल करने के लिए भी किया जा रहा है. कई बार इन साइट्स के जरिए लोगों को ब्लैकमेल किए जाने की घटनाएं भी सामने आई हैं.
सेक्सटॉर्शन (Sextortion)
भारत में पिछले दशक के दौरान ऑनलाइन सिक्योरिटी में अपडेट के साथ-साथ ऑनलाइन क्रिमिनल्स भी क्राइम में अपडेट हो रहे हैं. आप अगर इंटरनेट सर्फिंग के दौरान सावधानी नहीं रखते हैं तो इस डीजीटल दौर के अपराध का शिकार बन सकते हैं, जिसे सेक्सटॉर्शन कहते हैं. यह साइबर ठगों का बुना जाल होता है, जिसमें फंसकर लोग खुद के लिए मुशकिलें पैदा कर लेते हैं.
सेक्सटॉर्शन (Sextortion) एक डिजिटल ट्रैप (Digital trap) है. सेक्सटॉर्शन का मतलब है, यौन कार्य करने के लिए, किसी को डरा धमका कर मजबूर करना.' सेक्सटॉर्शन में आमतौर पर एक ब्लैकमेलर शामिल होता है जिसके पास पीड़ित की निजी फिल्मों या तस्वीरें होती है.
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ब्लैकमेलर पीड़ितों को पैसे, यौन संबंधों, या अतिरिक्त समझौता सामग्री के लिए ब्लैकमेल करता है, साथ ही यदि वे ब्लैकमेलर की बात नहीं मानते हैं तो ब्लैकमेलर उन्हें मौजूद सामग्री को इंटरनेट पर प्रकाशित करने की धमकी देता है. उन ग्राफिक फ़ोटो/वीडियो के ऑनलाइन एक्सपोज़ होने के डर से, पीड़ितों पर अक्सर रिश्तों या किसी दबाव में बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है.
सेक्सटॉर्शन के शिकार होने के सबसे आम कारणों में से एक है लोगों को फोन ऐप्स और तकनीकि क्षमताओं के बारे में जागरूकता की कमी होना. इसमें साइबर ठग फेक आईडी बनाकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है और फ्रेंडली माहौल बनाने के बाद अश्लील बातें करता है. कुछ दिन बाद यह बातें वीडियो कॉल में शुरू हो जाती हैं जिसे रिकॉर्ड कर, इन्ही विडियो के जरिए ब्लैकमेलिंग की जाती है.
सेक्सटॉर्शन के संबंध में वर्तमान कानून
IPC की धारा 292 के अनुसार यदि कोई अश्लील सामग्री की बिक्री करता है तो वो अपराधी है. यह धारा वर्तमान डिजिटल युग में विभिन्न साइबर अपराधों से भी संबंधित है. अश्लील सामग्री का प्रकाशन और प्रसारण या यौन रूप से स्पष्ट कार्य या बच्चों से युक्त शोषण, आदि जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में हैं, वे भी इस अनुभाग द्वारा शासित होते हैं.
इस अपराध के लिए 2 साल के कारावास और 2000 रुपये तक के जुर्माने से दण्डित किया जायेगा और यदि इन अपराधों में से कोई भी अपराध दूसरी बार किया जाता है, तो 5 साल तक की कैद और 5000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
IPC की धारा 384 के अनुसार, किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर आघात के भय में डालकर ज़बरदस्ती वसूली करना एक संज्ञेय अपराध है. यदि कोई ऐसा करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड से या दोनों से दण्डित किया जाएगा.
IPC की धारा 419 के अनुसार, जो भी कोई प्रतिरूपण द्वारा छल करेगा वह अपराधी होगा. इस अपराध के लिए उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा.
IPC की धारा 420 में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ धोखा करता है, छल करता है, बेईमानी से किसी की बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति में परिवर्तन करता है, उसे नष्ट करता है या ऐसा करने में किसी की मदद भी करता है तो वह अपराधी है. इस अपराध के लिए अनिवार्य जुर्माने के साथ सात साल तक की सजा का प्रावधान है.
IPC की धारा 354 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी स्त्री की लज्जा भंग करने या उस पर गलत लांछन लगाने का प्रयास करता है या फिर उसी स्त्री पर किसी तरह का हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करता है तो वह व्यक्ति अपराध की श्रेणी में माना जाता है और उस व्यक्ति को 1 साल से 5 साल तक की सजा या फिर जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है.
IPC की धारा 354C के अनुसार यदि कोई पुरुष किसी स्त्री को प्राइवेट परिस्थितियों मे देखता है या फोटो खीचता है अथवा अन्य व्यक्ति को दिखाता है, या ऐसी फोटो को वायरल करता है, तो उसे कारावास से दंडित किया जाएगा, साथ ही जुर्माने से, या दोनों.
CrPC की धारा 108(1)(i)(a) के तहत पीड़िता अपने इलाके के मजिस्ट्रेट को फोन करके उस व्यक्ति के बारे में सूचित कर सकती है जिसके बारे में उसे लगता है कि वह किसी भी अश्लील मामले को प्रसारित कर सकता है. मजिस्ट्रेट के पास ऐसे व्यक्ति(यों) को हिरासत में लेने की और उसे सामग्री प्रसारित करने से रोकने के लिए बांड पर हस्ताक्षर करने का आदेश देने की शक्ति होती है.
POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम), 2012 का उद्देश्य बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करना है.
IT Act (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम), 2000 में साइबर अपराध से संबंधित अपराधों के बारे में और सजा के प्रावधान शामिल हैं.
सेक्सटॉर्शन के बढ़ते अपराध को निपटाने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं माने जाते हैं. आपराधिक कानूनों में सेक्सटॉर्शन को कहीं भी विशेष रुप से परिभाषित नहीं किया गया है.
IPC और POCSO अधिनियम के तहत कानून केवल महिलाओं और बच्चों को राहत प्रदान करते हैं, यौन शोषण के शिकार पुरुषों को नहीं. कई युवा पुरुष और वयस्क भी सेक्सटॉर्शन का शिकार हो जाते हैं परन्तु सामाजिक कलंक की आशंका के कारण लोग मामले दर्ज करने से बचते हैं.