रिश्वत क्या है और भारत में इसके कड़े कानून क्या हैं ?
एक महाशक्ति विकसित बनने की आकांक्षा रखने वाले देश को विभिन्न बाधाओं से गुजरना पड़ता है और भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है. हमारे देश में रिश्वत भ्रष्टाचार के सबसे प्रचलित रूपों में से एक है. 2020 में ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में एशिया के रिश्वतखोरी के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए. रिश्वतखोरी की संख्या अधिक बनी हुई है, विशेष रूप से सार्वजनिक सेवाओं के क्षेत्र में।
हमने बहुत बार देखा है की , पुलिस या ट्रैफिक पुलिस या अन्य सार्वजनिक अधिकारियों को जो अपने कानूनी कर्तव्य के लिए रिश्वत मांगते हैं. हाल ही में अहमदाबाद की एक सीबीआई अदालत ने देना बैंक के बैंक मैनेजर को 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. बैंक मैनेजर ने वर्ष 2002 में 30,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी.
आखिर घूसखोरी क्या है
IPC की धारा 171 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत भी रिश्वत देना दंडनीय अपराध है, जिसे 2018 में संशोधित किया गया था. अधिनियम की धारा 171 (बी) में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो कोई धन या संतुष्टि देता है या स्वीकार करता है किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने या कोई कार्य न करने के लिए प्रेरित करने वाली ऐसी कोई भी बात, भारतीय दंड संहिता की इस धारा के अंतर्गत अपराध है .
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भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (1988)में कहा गया है कि कोई भी लोक सेवक जो किसी ऐसे कार्य के लिए कोई संतुष्टि या लाभ की राशि स्वीकार करता है जिसे करना उसका कानूनी कर्तव्य है या उस कार्य को करना या न करना.
या किसी कार्य को करने या न करने के लिए संतुष्टि प्राप्त करता है, तो यह इस अधिनियम की धारा 7 के तहत दंडनीय अपराध होगा.इस अधिनियम के अनुसार रिश्वत लेना ही नहीं रिश्वत देना भी अपराध है
कहां करे शिकायत
पुरे देश में भष्ट्राचार के खिलाफ लड़ने के राज्यवार एजेंसियों या ब्यूरो गठित् किए गए है. कई राज्यों में एंटी-करप्शन ब्यूरो की स्थापना की गयी है. इन विभागों में ऐसे अधिकारियों को नियुक्ति दी जाती है तो कि इस तरह के मुद्दों से निपटने के लिए विशेषज्ञता प्राप्त है.
किसी भी तरह की रिश्वत या भष्ट्राचार के लिए पुलिस में शिकायत कर सकते हैं. एंटी-करप्शन ब्यूरो, राज्य कर्मचारियों के मामलों की जांच करता है और हर राज्य की अपनी अलग शाखा होती है, जो सार्वजनिक सेवाओं में भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटती है.
देश में जब रिश्वत या भष्ट्राचार का मामला एक राज्य से बाहर का मामला हो और कई बार जब एक राज्य का मामला होते हुए भी पुरे देश को प्रभावित करने की स्थिती में होने पर ऐसे मामलों में केंद्र सरकार और सीबीआई भी जांच कर सकती हैं.
केन्द्रीय उपक्रमों से जुड़े मामलो में भष्ट्राचार को लेकर सीबीआई के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है.
क्या है सजा का प्रावधान
IPC की धारा 171 (ई) के अनुसार रिश्वत लेना न केवल रिश्वत लेना अपराध है बल्कि एक वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों के रूप में रिश्वत देना भी अपराध है. जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (ए) और धारा 8 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी लोक सेवक का अनुचित लाभ उठाता है. ताकि उसे कोई कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सके या अपने सार्वजनिक कर्तव्य को पूरा न किया जा सके या किसी भी प्रकार का संतुष्टि, धन या उपहार आदि के रूप में प्रदान किया जा सके तो उसे 3 साल के कारावास से दंडनीय होगा जो कि 7 साल तक बढ़ सकता है या सात साल के साथ या जुर्माना या दोनों हो सकता है.