साइबर धोखाधड़ी के मामलों में किस तरह मिलती है सुरक्षा? जानें भारतीय दंड संहिता के तहत प्रावधान
अनन्या श्रीवास्तव
पिछले सालों में काफी कुछ बदला है और उसमें इंटरनेट और तकनीक का विकास भी शामिल है। दुनियाभर में लोगों की इंटरनेट पर निर्भरता काफी बढ़ गई है और जहां इंटरनेट के कई फायदे हैं, वहीं इसके कई नुकसान भी हैं जिनमें साइबर धोखाधड़ी शामिल है। साइबर धोखाधड़ी (Cyber Crime) के कई मामले सामने आए हैं जिनमें लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है।
भारत में साइबर धोखाधड़ी से सुरक्षा के लिए क्या कानून बनाए गए हैं, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तहत इसके लिए क्या प्रावधान हैं, आइए जानते हैं.
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IPC के तहत साइबर सुरक्षा
भारतीय दंड संहिता, 1860 में क्रिमिनल लॉ के बारे में काफी कुछ दिया गया है और इसमें साइबर धोखाधड़ी भी शामिल है। आईपीसी की किन धाराओं के तहत साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ कानून हैं और उनमें क्या सजा दी जाती है, आइए विस्तार से जानते हैं...
आईपीसी की धारा 292 'अश्लील किताबों आदि की बिक्री' (Sale, etc., of obscene books, etc.) को लेकर है। इस धारा के तहत यदि कोई किसी भी तरह की अश्लील फोटो या वीडियो (ऑनलाइन) शेयर करता है, उसे बेचने की कोशिश करता है, उसे इम्पोर्ट/एक्सपोर्ट करता है, उसका प्रचार करता है या फिर उससे जुड़े बिजनेस में लाभ शेयर करता है, तो उसे कानून के तहत दंड दिया जाएगा।
पहली बार पकड़े जाने पर अपराधी को दो साल तक की जेल की सजा और दो हजार रुपये तक का जुर्माना झेलना पड़ता है, और अगर उसे दूसरी बार दोषी करार दिया जाता है, उसे पांच साल तक की सजा मिल सकती है और साथ में पांच हजार रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 354D उन लोगों के खिलाफ कानून का वर्णन करती है, जो 'पीछा' (Stalking) करते हैं। इस कानून के तहत यदि कोई आदमी एक महिला का बार-बार उनकी मर्जी के इंटरनेट, ईमेल या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के जरिए पीछा करता है, उनको परेशान करता है तो उसे इसके लिए सजा मिलेगी।
इस तरह की स्थिति में स्टॉक करने वाले शख्स को पहली बार में तीन साल तक की जेल की सजा और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। दूसरी बार पकड़े जाने पर उस आदमी को पांच साल तक की सजा हो सकती है और साथ में आर्थिक जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
इंडियन पीनल कोड की धारा 383 'जबरदस्ती वसूली' (Extortion) को लेकर है। आईपीसी की इस धारा के तहत यदि कोई आपकी व्यक्तिगत जानकारी निकालकर उसके जरिए परेशान करने या चोट पहुंचाने की कोशिश करता है (साइबर धोखाधड़ी में इसे वेब-जैकिंग कहते हैं), तो उसे इस धारा के तहत सजा मिलती है।
इस धारा के तहत दोषी पाया जाने वाला शख्स तीन साल तक की जेल की दजा या फिर आर्थिक जुर्माण का सामना कर सकता है; ऐसा भी हो सकता है कि उसे दोनों सजाओं को झेलना पड़े।
आईपीसी की धारा 420 'धोखाधड़ी करना और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना' (Cheating and dishonestly inducing delivery of property) है। साइबर क्राइम के लिहाज से देखें तो इस कानून के तहत यदि कोई नकली वेबसाइट बनाकर या फिर साइबर फ्रॉड करके आपके साथ धोखाधड़ी करता है, तो उसे सजा मिलती है।
ऑनलाइन फ्रॉड करते पाए जाने पर, इस कानून के तहत अपराधी को सात साल तक की जेल की सजा मिलती है और साथ में आर्थिक जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 463 'जालसाजी के अपराध' (The Offence of Forgery) के बारे में हैं। इस धारा के तहत यदि कोई आपके नाम पर या आपका फायदा उठाने के लिए नकली दस्तावेज बनाता या बनवाता है जिसका उद्देश्य आपको चोट पहुंचाना या आपकी छवि को खराब करना हो, तो उसे इस कानून के तहत सजा मिलती है।
इस धारा के तहत पकड़े जाने वाले अपराधी को सात साल तक की जेल की सजा सुनाई जाति है और उसे आर्थिक जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
इंडियन पीनल कोड की धारा 499 'मानहानि' (Defamation) के खिलाफ बात करता है। इस धारा के तहत, यदि कोई आपको ऑनलाइन आपत्तिजनक मैसेज भेजता है या आपकी छवि को मैला करने हेतु कुछ कहता या बातें फैलाता है, उसे इस कानून के तहत सजा मिलती है।
मानहानि के मामले में पकड़े जाने वाले शख्स को दो साल तक की जेल की सजा हो सकती है या उसे आर्थिक जुर्माना भरना पड़ सकता है; ऐसा भी हो सकता है कि उसे इन दोनों दंडों का झेलना पड़े।
आईपीसी की धारा 503 में उन लोगों के खिलाफ दंड दिया गया है जो 'आपराधिक धमकी' (Criminal Intimidation) में शामिल होते हैं। यदि कोई आपको ऑनलाइन धमकी दे रहा है, आपको हानि पहुंचाने के इरादे से कुछ कह रहा है, आपको जान से मारने के लिए धमका रहा है या अपनी पहचान छुपाकर आपके लिए एक खतरा बन रहा हो, तो उसे इस धारा के तहत दंड मिलेगा।
आईपीसी की इस धारा के तहत 'आपराधिक धमकी' देने वाले आदमी को दो साल तक की जेल की सजा होगी और साथ में वो दंड होगा, जो आखिरी पूर्ववर्ती धारा में प्रावधान दिया गया होगा।