Advertisement

IT Act की धारा 66, IPC 295A और 153A के तहत किस अपराध हेतु मामला दर्ज किया जाता है? जानिये

Cyber Crime

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act ) की धारा 66 में कंप्यूटर से संबंधित अपराध के बारे में बताया गया है.

Written By My Lord Team | Published : June 5, 2023 5:54 PM IST

नई दिल्ली: आज कल ऑनलाइन शॉपिंग की डिमांड जितनी ज्यादा बढ़ गई है उतनी ही तेजी से इससे संबंधित अपराध भी अपना पैर पसार रहे हैं. साइबर अपराधी तेजी से ग्राहको की जानकारी में सेंध लगाकर उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. इतना ही नहीं सांप्रदायिक दंगा फैलाने की कोशिश में भी इस तरह में मामले अक्सर सामने आते रहतें हैं .

हाल ही में राजस्थान में एक ऐसे ही मामले में, राजस्थान पुलिस की विशेष शाखा स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप’ (SOG) ने एक ऑनलाइन कंपनी से डाटा चुराकर उसे ब्लैकमेल करने वाले साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया.

Advertisement

कंपनी ऑनलाइन लेडीज अंडर गारमेंट्स सप्लाई करती थी. उदयपुर निवासी आरोपी संजय ने कंपनी से खासकर महिलाओं के डेटा को हैक कर इस्लामिक देशों में बेचने की धमकी दी और 1500 डॉलर का सौदा किया और अपने बैंक खाते में 1000 डॉलर प्राप्त किए.

Also Read

More News

न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, आरोपी ने उसके बाद 16 मई को एक ट्विटर हैंडल से ट्विट किया कि 15 लाख हिंदू लड़कियों का डेटा इस्लामिक देशों में भेजा जा रहा है औऱ सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की.

Advertisement

कंपनी की शिकायत के बाद 30 मई को आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. आरोपी के खिलाफ बेंगलुरु, मुंबई, लखनऊ और उदयपुर में पांच और मामले दर्ज हैं. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईटी अधिनियम की धारा 66 और आईपीसी की धारा 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 153A (दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया है.

चलिए जान लेते हैं कि इन धाराओं के तहत किस अपराध के लिए क्या है सजा के प्रवाधान.

IT Act की धारा 66

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act ) की धारा 66 में कंप्यूटर से संबंधित अपराध के बारे में बताया गया है. जिसके अनुसार अगर कोई धारा 43 में बताए अपराधों को जैसे; कंप्यूटर सिस्टम के साथ हैकिंग या कंप्यूटर सिस्टम और नेटवर्क का अनऑथराइज्ड इस्तेमाल, करता है तो ऐसा करने वाला सजा का पात्र माना जाएगा. इसके तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का फाइन लग सकता है या फिर दोनो ही सजा से दंडित किया जा सकता है.

IPC की धारा 295A

IPC की धारा 295A के अनुसार जो भी व्यक्ति, भारत के नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से, जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से या तो बोलकर या लिखकर शब्दों द्वारा, या संकेतों या दृश्य प्रस्तुतियों (Visible Representation) द्वारा या अन्य किसी माध्यम से, उस वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करता है या अपमान करने का प्रयास करता है, तो ऐसे व्यक्ति को इस धारा के तहत अपराधी माना जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी.

धारा 295A के अंतर्गत परिभाषित अपराध एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. इस तरह के मामलों में अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है. इस तरह के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है. दोषी साबित होने पर आरोपित को 3 साल तक की जेल या जुर्माने या दोनों ही सज़ा हो सकती है.

IPC की धारा 153A

IPC की धारा 153A धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने’ के मामले में लगाई जाती है. इसमें 3 साल तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है.