प्रेग्नेंट वर्किंग वुमेन को मेटरनिटी लीव नहीं देने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट अथॉरिटी को लगाई फटकार, कहा- नियोक्ता को वर्किंग वुमन के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए
Maternity Leave: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को फटकार लगाई है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को फटकार वर्किंग प्रेग्नेंट वुमेन मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) नहीं देने पर लगी है. एएआई (AAI) ने कहा कि महिला पहले से ही दो बच्चों की मां है. नियमों के अनुसार, वह तीसरी बार मेटरनिटी लीव की हकदार नहीं है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने AAI की दलीलों से नाराजगी जताई और हिदायत देते हुए कहा कि नियोक्ता (Employer) को गर्भवती कामकाजी गर्भवती महिलाओं से सहानुभूति दिखाने की जरूरत हैं. बॉम्बे हाईकोर्ट ने AAI की दलीलों से नाराजगी जताई और हिदायत देते हुए कहा कि नियोक्ता (Employer) का व्यवहार अपने महिला कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रखने वाला होना चाहिए. साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने एएआई द्वारा महिला कर्मचारी को मातृत्व अवकाश नहीं देने के निर्देश को खारिज किया है.
मेटरनिटी लीव नहीं देने पर AAI को लगी फटकार
बॉम्बे हाईकोर्ट में, जस्टिस एएस चंदुरकर और जस्टिस जितेन्द्र जैन की डिवीजन बेंच ने मामले को सुना.
अदालत ने कहा,
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महिलाएं हमारे समाज की हिस्सा हैं. उनके साथ उन जगहों पर सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए, जहां वे अपनी आजीविका कमाने के लिए काम करती हैं. उनके कर्तव्यों, उनके व्यवसाय और उनके काम करने के स्थान की प्रकृति चाहे जो भी हो, उन्हें वे सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए, जिनकी वे हकदार हैं. मां बनना एक महिला के जीवन में सबसे स्वाभाविक पल होता है. कार्यरत महिला के लिए बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, नियोक्ता को उसके प्रति विचारशील और सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए. और उन शारीरिक कठिनाइयों को महसूस करना चाहिए, जिनका सामना एक कामकाजी महिला को गर्भ में बच्चे को ले जाने या जन्म के बाद बच्चे के पालन-पोषण के दौरान कार्यस्थल पर अपने कर्तव्यों का पालन करने में करना पड़ता है.
हाईकोर्ट ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को एक महिला को मातृत्व लाभ देने का निर्देश दिया, जिसे इस आधार पर लाभ देने से मना कर दिया गया था कि उसके पहले से ही दो बच्चे हैं.