कौन लड़ता है गंभीर मामलों में पीड़ित की ओर से मुकदमा, क्या होते है संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध ?
नई दिल्ली: हमारे देश के कानून के अनुसार सभी अपराध समान नहीं होते हैं और अलग-अलग श्रेणी के अपराधों के लिए अलग प्रक्रिया का पालन किया जाता है.सीआरपीसी की धारा 2 के अनुसार गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्ति के संबंध में अपराध 2 प्रकार के होते हैं:
किसी अपराधी को सजा दिलाने के लिए पहले उसे गिरफ्तार किया जाना आवश्यक है और फिर पुलिस द्वारा उससे पूछताछ की जाती है. लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है कि पुलिस उस अपराध को किस तरह से देखे और कैसे तय करें कि कौन सा अपराध है जिसे करने के बाद सुधार के लिए अधिक की जरूरत होगी, या उस अपराध को करने के बाद अगर अपराधी को खुला छोड़ दिया गया तो दूसरे लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा.
सीआरपीसी के अनुसार अपराध को दो भागों में बांटा गया हैं. संज्ञेय और गैर संज्ञेय या असंज्ञेय अपराध.
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संज्ञेय अपराध
CrPC की धारा 2 (c) के अनुसार, जिन अपराधों में अपराधी को पुलिस द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है, वे सभी अपराध "संज्ञेय अपराध" होते हैं.
संज्ञेय अपराध प्रकृति में गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं. इस तरह के अपराध के मामलों में पीड़ित की और से सरकार द्वारा अपराधी के खिलाफ मुकदमा सरकार द्वारा लड़ा जाता है. संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर पुलिस धारा 154 के तहत तीन प्रतियों में FIR दर्ज करती है. इस तरह के अपराध के मामले में सूचना मिलने पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस बाध्य है.
इस प्रकार के अपराध के बाद पुलिस को कार्यवाही करने के लिए किसी शिकायत या परिवाद देने की भी आवश्यकता नहीं होती है. यहां तक की पुलिस इन मामलों में बिना किसी आदेश के भी जांच प्रारंभ कर सकती है. इस तरह के अपराध किसी एक व्यक्ति के साथ होने के बावजूद पूरे समाज को प्रभावित करते है.
3 वर्ष से अधिक सजा
ऐसे अपराध के मामले में प्राथमिकी दर्ज़ होते ही पुलिस अधिकारी जांच शुरू कर सकते है और अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकते हैं. । यह प्रावधान आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की धारा 154 में दिया गया है।
CrPC की धारा 154 के अनुसार इस तरह के संज्ञेय अपराध में अधिक सजा का प्रावधान है, कुछ अपवादों को छोड़कर संज्ञेय अपराध मे 3 साल या 3 साल से अधिक जेल और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.
असंज्ञेय अपराध
CrPC की धारा 2(l) के अनुसार, असंज्ञेय अपराध वे अपराध होते हैं जिनमें आरोपी को बिना वारंट गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
असंज्ञेय अपराध के मामलों मे शिकायत या लिखित परिवाद मिलने के बाद ही पुलिस कार्यवाही शुरू करती है.कई बार इस तरह के अपराध के मामलों में मुकदमा दर्ज कराने के लिए अदालत के आदेश के बाद ही पुलिस मामला दर्ज कर जांच शुरू करती है. ऐसे मामले CrPC की धारा 155 के तहत दर्ज किए जाते है.
3 वर्ष से कम सजा
इस तरह के अपराध प्रकृति में सामान्य तथा कम गंभीर प्रकृति होते है जिनके लिए कानून में कम सजा का प्रावधान है. कुछ अपवादों को छोड़कर ऐसे मामलों में 3 साल से कम जेल की सजा का प्रावधान है कई बार ऐसे मामलों में अदालत केवल जुर्माना की सजा से ही दण्डित करती है.
इस तरह के सामान्य प्रकृति के अपराध के मामलो में केवल पीड़ित व्यक्ति ही प्रभावित होता है और मुकदमा भी स्वयं पीड़ित द्वारा ही लड़ा जाता है ना कि सरकार द्वारा.