विदेशी नागरिक से शादी को लेकर क्या है कानूनी प्रावधान ?
नई दिल्ली: भारत में विवाह को एक पवित्र परंपरा के तौर पर अपनाया गया है.विवाह एक सार्वभौमिक परंपरा है जो हर देश में वहां के लोगों द्वारा उनके रीति-रिवाजों या परंपराओं के अनुसार अपनाया गया है.
विवाह का अधिकार
भारतीय परंपरा में विवाह को लोगों के जीवन का मिलन माना गया हैं.जो एक साथ अपना जीवन बिताते हैं। संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक व्यक्ति को विवाह का अधिकार प्रदान करता है. इसी अधिकार के तहत कोई भी नागरिक किसी विदेशी से विवाह कर सकता है.
लेकिन एक विदेशी से विवाह करने के मामले में उसे कुछ सीमाए तय करना आवश्यक इसलिए आजादी के बाद ऐसे मामलों के लिए विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 लागू किया गया.
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इस अधिनियम के अनुसार जब कोई भारतीय नागरिक जब भारत में रहते हुए ही किसी विदेशी नागरिक से शादी करना चाहता है या जब कोई भारतीय किसी विदेशी से भारत के बाहर शादी करता है और चाहता है कि शादी भारत में उसे कानूनी मान्यता मिले. ऐसी स्थिति में यह अधिनियम एक विदेशी के साथ विवाह की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के साथ ही अपने पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह के अधिकार को बनाए रखता है.
शर्ते जो लागू होती है
इस अधिनियम के तहत विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए ऐसे जोड़े को कई कानूनी शर्तो यानी नियमों का भी पालन करना होता है.
अधिनियम के अनुसार विवाह करने वाले दो व्यक्ति में से एक के पास भारतीय नागरिकता होना आवश्यक है.
हमारे देश के कानून के अनुसार विवाह करने वाले पुरुष की आयु 21 वर्ष और महिला की आयु 18 से कम नहीं होनी चाहिए.
जिस जिले या राज्य में विवाह का पंजीयन कराया हो, वहां पर दोनों में से किसी भी एक को कम से कम 30 दिन से वहा निवासरत होना आवश्यक है.
विवाह की प्रक्रिया
विदेशी से विवाह के लिए आवश्यक कानूनी अनिवार्यता पूर्ण करने वाले जोड़े को इस अधिनियम के तहत पंजीयन के लिए जिला विवाह पंजीयन अधिकारी के समक्ष आवेदन करना होगा यानी की विवाह का नोटिस देना होगा.
विवाह का आवेदन करने वाले दोनो के बीच सहमति होना आवश्यक है और इसके लिए विवाह अधिकारी दोनो ही आवेदकों से अधिकारी अपनी मौजूदगी में घोषणा करने के लिए कह सकता है या दोनों को अलग अलग एफिडेविट पेश करने के लिए भी कह सकता है.
इस अधिनियम के तहत आवेदन करने पर विवाह पंजीयन अधिकारी 30 दिन का वक्त देता है इस अवधि के दौरान कोई व्यक्ति अगर विवाह के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराता है, तो पंजीयन अधिकारी आवेदक जोड़े से जानकारी मांग सकता है.
विवाह अधिकारी को आवेदक जोड़े से जुड़ी सभी सूचनाओं को अभिलेखों की एक पुस्तक में रखना होता है जिसे कोई भी देख सकता है जो इसके बारे में जानना चाहता है.
विवाह की सूचना प्राप्त होने के बाद, विवाह अधिकारी को इसे अपने कार्यालय में प्रकाशित करना होता है, जहाँ यह लोगों को दिखाई देता है और इसे भारत में और उस देश में सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाता है.
निर्धारित 30 दिनों के भीतर अगर विवाह को लेकर कोई आपत्ति नहीं है तो 30 दिन की अवधि पूर्ण होने के बाद विवाह संपन्न किया जा सकता है.
विवाह केवल आवेदन किए गए पंजीयन कार्यालय में और उसी पंजीयन अधिकारी की उपस्थिति में ही होना अनिवार्य है.
विवाह पंजीयन के लिए दोनों पक्षों की और से कम से कम तीन गवाहों का होना अनिवार्य हैं.
विवाह पंजीयन कार्यालय में सभी औपचारिकताओं पूरा करने पर विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा
विवाह के लिए एक बार आवेदन करने 6 माह में युगल को विवाह करना होगा,
6 माह की अवधि गुजर जाने पर विवाह के लिए नया नोटिस या आवेदन करना होगा.
विवाह से इनकार
विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 के अनुसार एक विवाह पंजीयन अधिकारी ऐसे विवाह को संपन्न कराने से इंकार कर सकता है. जब विवाह अधिकारी को ये जानकारी प्राप्त हो कि..
भारत में पंजीकृत कराया गया विवाह विदेश में कानून के विपरीत होगा, जहां यह होने जा रहा है।
विवाह अगर किसी अंतर्राष्ट्रीय कानून के किसी प्रावधान के विरुद्ध हो.
विवाह करने वाले में से एक या दोनों वर्तमान में विवाहित हों.
आवेदकों में से एक या दोनों मानसिक रूप से मंदबुद्धि हो.
विवाह करने वाली महिला 18 साल से कम या पुरुष की उम्र 21 साल से कम हो
कहा होगी अपील
विदेशी विवाह अधिनियम के अनुसार अगर विवाह पंजीयन अधिकारी ऐसा विवाह संपन्न कराने से इंकार करता है तो इसकी अपील सीधे केंद्र सरकार से की जाएगी. साथ ही आवेदन सीधे अदालत का भी रुख कर सकते है.