जज ही न्यायपालिका की छवि खराब कर रहे: SC जस्टिस दीपंकर दत्ता ने HC के रवैये से जताई नाराजगी
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न हाईकोर्ट के जजों के रवैये से नाराजगी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जज ही अपने रवैये और तौर-तरीकों से न्यायपालिका की छवि खराब कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जजों को इसके लिए बार-बार निर्देश दिए जाते हैं लेकिन वे उनकी प्रवृति में कोई सुधार नहीं दिखाई पड़ता दिख रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट बार-बार इसके लिए टोक रहा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी तब की जब गुजरात हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने 1 मार्च, 2023 को एक वकील की दलीलें सुनने के बाद भी फैसले सुनाने में असफल रहे. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उच्च न्यायालय से उसे 30 अप्रैल 2024 के बाद ही आदेश की कॉपी मिली है.
जज के आचरण से न्यायापालिका की छवि हो रही खराब
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस पी के मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की. पीठ ने स्पष्ट कहा कि जज निर्धारित मानकों से इतर काम कर न्यायपालिका की छवि खराब कर रहे हैं.
जस्टिस दीपंकर दत्ता ने कहा,
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"हाल के दिनों में, एक से अधिक अवसरों पर, इस न्यायालय ने देश भर के विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के व्यवहार और विचार पैटर्न को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही शुरू की है. ऐसे व्यवहार से सामान्य रूप से न्यायपालिका और विशेष रूप से उच्च न्यायालयों की छवि खराब हुई है.’’
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि किसी जज का निर्धारित मानकों से इतर जाना उसके द्वारा राष्ट्र के भरोसे का कत्ल करने के समान होगा.
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने दावा किया कि गुजरात हाईकोर्ट के एक जज ने 1 मार्च, 2023 को उसके मामले का फैसला सुनाया था, फैसला सुनाने के बाद उसे आर्डर कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई. वहीं याचिकाकर्ता को एक साल बाद, 30 अप्रैल, 2024 को आदेश की कॉपी दी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को गलत ठहराया है, हालांकि अदालत ने जज के प्रति नरमी दिखाते हुए राहत प्रदान की है.