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जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं कि सुप्रीम कोर्ट 'संसद के विपक्ष' की भूमिका निभाएं: CJI DY Chandrachud

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (पिक क्रेडिट PTI)

गोवा में एससीएओआरए (SCAOR) के पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए CJI DY Chandrachud ने कहा कि पिछले 75 सालों में सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की अदालत की भूमिका निभाई हैं, उससे संसद के विपक्ष जैसे भूमिका रखना उचित नहीं.

Written By Satyam Kumar | Updated : October 20, 2024 12:23 PM IST

भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की जनता की अदालत की भूमिका संरक्षित रखी जानी चाहिए लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि वह संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएगा (CJI Says Supreme Court is seen as people's Court, not a parliament's opposition). सीजेआई ने कहा कि कानूनी सिद्धांत की असंगतता या त्रुटि के लिए न्यायालय की आलोचना करना उचित है, लेकिन परिणामों के परिप्रेक्ष्य से उसकी भूमिका या कार्य को नहीं देखा जा सकता. CJI ने ये बातें दक्षिण गोवा में सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) के आयोजित पहले सम्मेलन को संबोधित करते कहा.

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को संरक्षित करना जरूरी

CJI ने  कहा कि उच्चतम न्यायालय की न्याय तक पहुंच का प्रतिमान पिछले 75 वर्षों में विकसित हुआ है और कुछ ऐसा है जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब समाज बढ़ता है समृद्ध और संपन्न होता है, तो ऐसी धारणा बनती है कि आपको केवल बड़ी-बड़ी चीजों पर ही ध्यान देना चाहिए. हमारा न्यायालय ऐसा नहीं है. हमारा न्यायालय जनता की अदालत है और मुझे लगता है कि लोगों की अदालत के रूप में शीर्ष न्यायालय की भूमिका को भविष्य के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए.

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CJI ने कहा,

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अब, जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद के विपक्ष की भूमिका निभाएं,’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मुझे लगता है, विशेष रूप से आज के समय में, उन लोगों के बीच एक बड़ा विभाजन है जो सोचते हैं कि जब आप उनके पक्ष में निर्णय देते हैं तो उच्चतम न्यायालय एक अद्भुत संस्था है, और जब आप उनके खिलाफ निर्णय देते हैं तो यह एक ऐसी संस्था है जो बदनाम है. सीजेआई ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है क्योंकि आप परिणामों के परिप्रेक्ष्य से शीर्ष न्यायालय की भूमिका या उसके काम को नहीं देख सकते हैं. व्यक्तिगत मामलों का नतीजा आपके पक्ष में या आपके खिलाफ हो सकता है. न्यायाधीशों को मामला-दर-मामला आधार पर स्वतंत्रता की भावना के साथ निर्णय लेने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को कानूनी सिद्धांत की असंगतता या त्रुटि के लिए न्यायालय की आलोचना करने का अधिकार है.

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लाइव-स्ट्रीमिंग से SC की कार्यवाही 20 लाख लोगों तक पहुंची

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं आश्वस्त हूं कि न्यायाधीशों को इससे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन समस्या तब होती है जब वही लोग देखते हैं कि अदालत एक विशेष दिशा में जा रही है और वे सभी इसकी आलोचना करने को तत्पर हो जाते हैं क्योंकि परिणाम आपके खिलाफ गया है.

CJI ने कहा,

“एक कानूनी पेशेवर के रूप में हमारे पास यह समझने के लिए मजबूत सामान्य ज्ञान होना चाहिए कि न्यायाधीशों को अधिकार है और उन्हें मामले दर मामले के आधार पर निर्णय लेना चाहिए, जो इस बात पर निर्भर करता है कि उस विशेष स्थिति में तथ्यों पर कानूनी सिद्धांत को कैसे लागू किया जाए."

CJI ने  उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई पहलों के बारे में कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रौद्योगिकी के मामले में बहुत कुछ किया है, जिसमें मामलों की ई-फाइलिंग, केस रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, संवैधानिक पीठ की दलीलों को लिपिबद्ध करना या अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग शामिल है. उन्होंने कहा कि हमारी अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग इसके विपरीत पहलुओं के बावजूद परिवर्तनकारी रही है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अब कार्यवाही सिर्फ 25 या 30 या 50 वकीलों वाले विशेष न्यायालय कक्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लगभग एक बटन के क्लिक पर 20,000,000 लोगों तक पहुंच जाती है.